जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य विभाग सतपाल मैहता ने जानकारी देते हुए बताया कि गोबिंदसागर जलाश्य में भाखडा नामक स्थान पर स्थापित किये गये पिंजरों में मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेष ने विभागीय ट्राउट फार्म धमवाडी जिला शिमला से 500 रेनबो ट्राउट मछली के बच्चे 10 जनवरी 2019 को प्रयोग के तौर पर इन पिंजरों में डाले गए। उन्होंने बताया कि इसका मकसद था कि क्या प्रदेश के निचले क्षेत्रों में भी ट्राउट जैसी अति संवेदनशील मछली जो प्रायः 18 डिग्री सेलिसियस तक ठण्डे जलों में पाली जाती थी का पालन प्रदेश गर्म इलाकों में भी किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने बताया कि विभाग के इस पायलट प्रोजैक्ट के बारे में दिनांक 30 अप्रैल को इन पिंजरों में पल रही मछली की जांच से यह पाया गया कि 10 जनवरी से 30 अप्रैल तक 15-270 डिग्री सेलिसियस तापमान पर जो 500 रेनबो ट्राउट के मछली के बच्चे डाले गये थे उनका पालन सफलतापूर्वक हो रहा है तथा अब इन ट्राउट मछलियों का भार 250 ग्राम से 300 ग्राम तक हो गया है जो कि ट्राउट का टेबल साईज अर्थात बेचने योग्य हो गया है।
उन्होंने बताया कि डाली गई 500 ट्राउट मछलियों में से 185 मछलियां ही जीवित रहीं परंतु विभाग का यह प्रयोग शोध का विषय हो सकता है।उन्होंने बताया कि अब विभाग ने निर्णय लिया है कि इन ट्राउट मछलियों को 450 रू0 प्रति किलो की दर से भाखडा में विक्रय कर दिया जाएगा और यह विभाग के इतिहास में पहली बार हुआ है कि बिलासपुर के गोबिंदसागर जैसे गर्म क्षेत्र में भी पिंजरों में ट्राउट पाल कर विभाग ने इतिहास रचा है। उन्होंने इन पिंजरों की देखरेख कर रहे कर्मचारियों को इस पायलट प्रोजैक्ट को सफल बनाने के लिए बधाई दी।