राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से जुड़ी अहम स्कॉर्पीयन पनडुब्बी डील में राहुल गांधी की भूमिका पर कांग्रेस पार्टी से उनकी स्थिति साफ़ करने को कहा
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी एंव सांसद अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से जुड़ी अहम स्कॉर्पीयन पनडुब्बी डील में राहुल गांधी की भूमिका पर कांग्रेस पार्टी से उनकी स्थिति साफ़ करने को कहा है। अनुराग ठाकुर ने रविवार को हमीरपुर विस् क्षेत्रके लगभग 2 दर्जन स्थानों पर चुनावी जनसभाओं में कांग्रेस अध्यक्ष पर ताबड़तोड़ हमले किये।
अनुराग ठाकुर ने कहा”इतिहास गवाह है कि आज़ादी के बाद से अब तक कांग्रेस पार्टी ने हर डिफ़ेंस डील में अपनी डील को तरजीह दी है।हमेशा से कांग्रेस का एजेंडा देश के पैसे को अपनी जेबों में भरने का रहा है।आज़ादी के तुरंत बाद चाहे इंग्लैंड से 3 हज़ार जीपों ख़रीदने का मामला हो या फिर बोफ़ोर्स से लेकर सबमरीन और वीवीआईपी हेलीकॉप्टर अगस्तावेस्टलैंड घोटाले की बात हो,हर मामले में कांग्रेस पार्टी के हाथ दलाली से रंगे हैं।रक्षा सौदों में दलाली खाने का कांग्रेस पार्टी का लम्बा ट्रैक रिकार्ड रहा है और अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से जुड़ी अहम स्कॉर्पीयन पनडुब्बी डील में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भूमिका से जुड़े कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आ रहे हैं।और हैरानी की बात है कि इतने बड़े ख़ुलासे पर देश का प्रधानमंत्री बनने के सपने पाले राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी ने मौन धारण कर रखा है।सार्वजनिक जीवन में मौन का कोई स्थान नहीं होता और राफ़ेल मामले पर झूठा प्रचारतंत्र चलाने और सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी माँगने वाले राहुल गांधी और उनकी पार्टी को स्कॉर्पीयन पनडुब्बी डील में उनकी भूमिका पर जवाब देना चाहिए”
आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा”28 मई,2002 को भारत में एक कंपनी बैकॉप्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से बनी जिसके डायरेक्टर राहुल और प्रियंका गांधी बनते हैं।इसके बाद 21 अगस्त, 2003 में इसी नाम से ब्रिटेन में कंपनी बनती है,उसके डायरेक्टर बनते हैं राहुल गांधी और उलरिक मैकनाइट।इसमें 65 पर्सेंट शेयर राहुल गांधी के होते हैं और 35 फीसदी शेयर मैकनाइट होते हैं।ब्रिटिश कंपनी में दोनों ने लंदन का एक ही पता दिया था।ये कोई मैन्युफैक्चरिंग कंपनी नहीं बल्कि लेकिन यह एक लायजनिंग कंपनी थी।और बाद में जिस कम्पनी को स्कॉर्पीन पनडुब्बी बनाने का कॉन्ट्रैक्ट यूपीए सरकार से मिलता है राहुल के दोस्त मैकनाइट उसके डायरेक्टर बन जाते हैं।स्कॉर्पीन के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट्स इस कंपनी को मिल जाते हैं। इन तथ्यों से यह स्पष्ट होता जाता है कि एक डिफेंस डील को पुश करने वाली कंपनी को ऑफसेट मिल जाता है, जिसमें राहुल गांधी की भूमिका संदेहास्पद है”
अनुराग ठाकुर ने कहा”स्कॉर्पीन सौदे में जिस कंपनी को आफसेट कांट्रैक्ट मिला है, वह राहुल गांधी की एक कंपनी में साझीदार निकले।कांग्रेस अध्यक्ष खुद बताएं कि स्कॉर्पीन डील में अपने साझीदार को कांट्रैक्ट दिलाने में उनका आकलन कैसे किया जाए।एक तरफ वे सीएजी और सुप्रीम कोर्ट के क्लीन चिट मिलने के बाद भी वे बिना सुबूत राफेल सौदे में प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप लगाते जा रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी कंपनी में साझीदार आफसेट में भागीदार बन जाते हैं।क्या एक डिफेंस डीलर के रूप में यह उनकी शुरुआत थी या फिर वह प्राक्सी डिफेंस डीलर की भूमिका निभा रहे थे।कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को इसका जवाब देना पड़ेगा कि स्कॉर्पीन सौदे में राहुल की भूमिका क्या है?