हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में बनते और बिगड़ते जा रहे समीकरण
रामसिंह,
राजनीतिक संवाददाता
जनवक्ता बिलासपुर
यह सही है कि इस संसदीय चुनाव में दोनों ही मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस के राज्य स्तरीय बड़े बड़े नेता हिमाचल प्रदेश की चारों की चारों संसदीय सीटों को जीतने के बड़े बड़े दावे कर रहे हैं , लेकिन यहाँ बिलासपुर जिला में फील्ड का अध्ययन किया जाये तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि इन दोनों ही दलों मेसे कोई भी दल अपनी विजय के लिए गंभीर प्रयास कर रहा हो ,जबकि भाजपा के उम्मीदवार अनुराग ठाकुर बिलासपुर की 12 मई की रैली पर बहुत बड़ी आशाएँ गड़ाए बैठे हैं | वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार रामलाल ठाकुर भी इसके शीघ्र बाद उनके संसदीय क्षेत्र में होने वाली प्रियंका गांधी रोड- शो और रैली से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं |
निष्पक्ष पर्यवेक्षक यह मानते हैं कि दोनों ही दलों के नेता अपने अपने राष्ट्रीय नेताओं की रैलियों को आशा से अधिक सफल बनाने के लिए जुटे हुए हैं और यह रैलियाँ जिन स्थानों पर होनी हैं ,वहीं से नहीं बल्कि सारे हिमाचल प्रदेश और प्रदेश के बाहर के संलग्न क्षेत्रों से अपने अपने कार्यकर्ताओं की रैली में भीड़ जुटाने और पार्टी फंड से इस पर करोड़ों रुपये व्यय करने में व्यस्त दिख रहे हैं ,ताकि अधिक से अधिक भीड़ इककट्ठी करके अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में जन – भावना की लहर बनाई जा सके |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि दावे चाहे कुछ भी किए जा रहे हों किन्तु पिछले 2014 के संसदीय चुनाव की तरह न तो कोई मोदी लहर ही चल रही है और न ही उस चुनाव की भांति इस चुनाव में भाजपा और मोदी के दावों ,झांसों और वादों पर ही जनता कोई विश्वास ही कर रही है | ठीक इसी तरह कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी या वीरभद्र सिंह की कोई लहर कांग्रेस के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है | पर्यवेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की स्थिति यहाँ जिले में काँटों भरी है और दोनों ही पार्टियां अंदर से विभाजित व अपने अपने उम्मीदवारों के लिए अनिश्चय की स्थिति बनाए हुए हैं | भाजपा के लिए एक ओर तो अनुराग ठाकुर की अपने पिछले तीन कार्यकालों में बिलासपुर में बताने दिखाने के लिए कोई विशेष उपलब्धि न होना और चुनाव से पूर्व यहाँ आम आदमी से उनका पूरी तरह से कटे रहना और राज्य स्तर पर जयराम ठाकुर सरकार द्वारा अपने पिछले सवा साल के कार्यकाल में बिलासपुर में कुछ भी न कर पाना भी अनुराग ठाकुर के लिए कठिनाईया पैदा किए हुए है | जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश चंदेल के कांग्रेस पार्टी में चले जाने और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के कितने ही समर्थकों द्वारा अनुराग ठाकुर और नड्डा के बीच वर्षों से चली आ रही आपसी खटपट के कारण एक प्रकार से निष्क्रिय बने हुए हैं | क्यूँ कि उन्हें यह संशय सताये हुए है कि चुनाव के बाद यदि केंद्र में भाजपा सरकार बनती है और अनुराग ठाकुर चौथी बार संसद में पहुँचते हैं तो उनके नेता जगत प्रकाश नड्डा का मंत्री पद खतरे में पड़ सकता है | वैसे भी भाजपा के अपनी गलत नीति के कारण यहाँ सुरेश चंदेल के इशारों पर ही और अधिकांशतया उनके समर्थकों पर आधारित बिलासपुर भाजपा सदर मण्डल का निर्माण हुआ था , जिसके प्रधान व महामंत्री सुरेश चंदेल के दायें –बाएँ बाजू माने जाते हैं , जबकि जिला सचिव पद पर भी नड्डा के एक समर्थक विराजमान हैं |
पर्यवेक्षक मानते है कि रामलाल ठाकुर ने चुनाव के एन मौके पर बंबर ठाकुर को जिला प्रधान पद से हटा कर और उन्हें मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रचार करने के लिए हाई कमान से आदेश दिलवा कर भले ही उनको साइड लाइन कर दिया है किन्तु उनके लिए यह एक चुनावी भूल शीघ्र ही प्रमाणित होने वाली है | क्यूँ कि यदि रामलाल ठाकुर इस आड़े समय में बंबर ठाकुर से समझौता कर लेते और उनसे प्रत्येक प्रकार का सहयोग लेते –देते तो निश्चित ही बंबर ठाकुर उनके लिए चुनाव में अत्यंत लाभकारी प्रमाणित होते , जिस सुविधा से अब वे अपने आप को पूरी तरह से वंचित कर चुके हैं |
नैना देवी विधानसभा क्षेत्र से बढ़त ले सकते हैं राम लाल ठाकुर
पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि रामलाल ठाकुर अपने विधान सभा क्षेत्र श्री नेनादेवी जी से अवश्य ही बढ़त ले सकते हैं ,किन्तु बंबर ठाकुर के सहयोग के बिना उन्हे बिलासपुर सदर क्षेत्र में ऐसी बढ़त मिल पाना बहुत कठिन लग रहा है | जबकि झंडूता और घुमारवी विधान सभा क्षेत्रों में दोनों ही पार्टियों में कोई विशेष विवाद न होने के कारण इस समय यह कहना कठिन लग रहा है कि उनमें ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा |