एक दूसरे पर विकास न होने और भ्रष्टाचार संबंधी आरोप सार्वजनिक सभाओं और भाषणो में जड़े जा रहे
दोनों ही दलों में आपसी खींचतान तथा आंतरिक कलह और मनमुटाव भी चुनाव को बहुत ही रोचक और चौंकाने वाला
रामसिंह
राजनीतिक संवाददाता
जनवक्ता बिलासपुर
इस बार हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के नेताओं दवारा एक दूसरे पर विकास न होने और भ्रष्टाचार संबंधी आरोप सार्वजनिक सभाओं और भाषणो में जड़े जा रहे हैं जिनके बल पर चुनावी नेय्या पार करने के प्रयास किए जा रहे हैं जबकि पिछले कुछ वर्षों से इन दोनों ही दलों में आपसी खींचतान और मनमुटाव तथा आंतरिक कलह भी चुनाव को बहुत ही रोचक और चौंकाने वाला सिद्ध कर सकते हैं |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि पिछले विधान सभा चुनावों में इसी अंतर्कलह के कारण दोनों ही दलों के नेता एक -दूसरे को नीचा दिखाने और चुनाव मेँ अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हरा कर अपनी चौधराहट बरकरार रखने के लिए पूरे ज़ोर शोर से काम करते रहे | जिस कारण दोनों ही दलों के बड़े बड़े नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा था और यहाँ तक कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार प्रेमकुमार धूमल और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती सहित उनके मंत्री मण्डल में सहयोगी रहे कितने ही मंत्री और विधायक भी चुनाव की वैतरणी पार नहीं कर सके जबकि कांग्रेस के कौलसिंह ठाकुर और जी एस बाली जैसे दिग्गज नेता ,जो मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी ठोकते रहे थे , उन्हें भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि पूर्व भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेमकुमार धूमल को उनके पद से हटाने के लिए उस समय प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा अंदर ही अंदर विधायकों को अपने पक्ष में करने के चलाये गए कथित अभियान के कारण नड्डा और धूमल में राजनेतिक तलवारें इतनी खींच गई थी कि यह दोनों नेता एक दूसरे को देखने व झेलने के लिए तैयार नहीं थे और इसी कारण से इन दोनों भाजपा नेताओं में दूरियाँ इतनी बढ़ती गई कि नड्डा को विवश होकर प्रदेश की राजनीति छोड़ कर दिल्ली जाना पड़ा | पर्यवेक्षक मानते हैं कि दिल्ली जाकर जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी की केंद्रीय हाईकमान में अपनी गहरी पैठ जमा कर अपना राजनैतिक भविष्य को सुरक्षित कर लिया है किन्तु धूमल के प्रति उनके मन में लंबे समय से बदला चुकाने के चल रहे आंतरिक संघर्ष को अंतिम रूप देने के लिए पिछले विधान सभा चुनाव में उन्होने ऐसा ताना बाना बुना कि उंन सभी दिग्गज नेताओं ,जो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ,शांता और नड्डा के राजनैतिक विरोधी समझे जाते थे , को धूल चटाने में सफलता प्राप्त कर ली अन्यथा कोई कारण नहीं था कि किसी भी विधान सभा क्षेत्र के लोग अपने क्षेत्र से मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी को ही चुनाव में हरा देते | उनका मानना है कि उस समय चुनावी राजनीति में आर एस एस और गैर आर एस एस का कार्ड भी खेला गया था जो इन नेताओं की हार का कारण बना था |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि इस संसदीय चुनाव में भी ठीक वैसी ही रणनीति के अधीन दोनों ही दलों के दिग्गज नेता काम कर रहे हैं और अंदर ही अंदर अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को हराने का कथित षड्यंत्र रच रहे हैं | उनका मानना है कि यदि हमीरपुर संसदीय सीट पर चौथी बार अनुराग ठाकुर चुनाव जीत कर संसद में जाते हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार बनती है तो वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करीब होने के कारण केंद्र में मंत्री पद प्राप्त कर सकते हैं और जगत प्रकाश नड्डा का मंत्री पद खतरे में पड सकता है इसलिए यहाँ बिलासपुर में जगत प्रकाश नड्डा समर्थक सभी नेता फील्ड से नदारद दिख रहे हैं और कोई भी अनुराग ठाकुर को विजयश्री दिलाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रहा है |