जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं दून हलके से विधायक सरदार परमजीत सिंह पम्मी मांग की है कि देशभर में हजारों सिखों के नरसंहार के लिए जिम्मेवार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इतने बड़े अपराध के लिए सिखों और देश से माफी मांगने की बजाए नरसंहार को जायज ठहरा रही है। उन्होंने राहुल गांधी के राजनैतिक सलहाकार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा के उस बयान की कड़ी निंदा की जिसमें सिखों के हत्या कांड के बारे में कहा गया था कि “अगर यह हुआ तो क्या हुआ“।
सरदार परमजीत सिंह पम्मी ने कहा कि दिल्ली से लेकर पूरे देश में पांच हजार से ज्यादा सिखों को 1984 में जिंदा जलाया गया। सिख महिलाओं की इज्जत लूटी गई और उनके दूकान व मकान भी लूट लिए गये तब राजीव गांधी ने इसे जायज ठहराते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती ही है। इस बयान ने कांग्रेसियों को सिखों के हत्याकांड और लूटपाट के लिए उकसाया। राजीव गांधी के इशारे पर पुलिस ने सिखांे के हत्यारों के खिलाफ केस नहीं दर्ज किए। जहां कहीं पुलिस के इमानदार अफसरों ने दोषियों पर केस दर्ज किया तो उसे इतना कमजोर बना दिया गया कि अपराधी बरी हो गये।
दून के विधायक ने कहा कि कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी सिखों के हत्यारें है। कांग्रेस को इस पाप के लिए कभी क्षमा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि नरसंहार के 35 वर्ष बीत जाने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और और पीड़ितों को मुवावजा नहीं मिला। सिखों के कत्लेआम के एक दोषी कमल नाथ को राहुल गांधी ने इनाम देकर छतीसगढ़ का मुख्यमंत्री बना दिया है। कांग्रेस लगातार सिखों के जले पर नमक छिड़क रही है। इसी कड़ी में अब राहुल गांधी के राजनैतिक सलाहकार सैम पित्रोदा ने बयान दिया कि नरसंहार हुआ तो क्या हुआ। उनके लिए अल्पसंख्यक सिखों की जान कोई मायने नहीं रखती है।
सरदार पम्मी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि हजारों सिखों के कत्लेआम के दोषी को कांग्रेस सरकार ने जो भारत रत्न दिया था उसे वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिख समुदाय से माफी मांगने तक को तैयार नहीं है।