ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करें कार्य : राज्यपाल
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
शिमला के उपनगर पंथाघाटी स्थित ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शिमला सेवाकेंद्र में ब्रह्माकुमारी संस्था के साइंटिस्ट एंड इंजीनियर विंग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था ‘‘खुशनुमा जिन्दगी’’। इस संगोष्ठी में देश-विदेश से आए करीब 150 वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आनंद स्वरूप ईश्वर के प्रति समर्पण और अहंकार का त्याग कर हम सुखमय जीवन जी सकते हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि जीवन में सकारात्मक सोच पैदा करें। राष्ट्र निर्माण और मानवता के स्वरूप का जो कार्य ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा किया, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का निर्माण सबसे कठिन कार्य है और आवश्यक भी। भौतिक सुख को प्राप्त कर हमने अपने जीवन को कष्टकारी बना दिया है। शांति व आनंद का जीवन विज्ञान के साथ नहीं बल्कि आध्यात्म के साथ है। ‘‘खुशनुमा जिन्दगी’’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि जिनके जीवन में अनुकुलता होती है, वह व्यक्ति सुखी है और मन के विपरीत कार्य दुखी करता है। जहां त्याग है वहां सुख है और जहां वियोग है वहां दुख है। उन्होंने कहा कि ईर्ष्या, घृणा, असंतुष्टि, क्रोध, शंका दुख का कारण है, ऐसा व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि योग शास्त्र में सुखी रहने के उपाये बताये गए हैं, जिनमें अच्छे व्यक्तियों का सानिध्य, दीन-दुखियों की सेवा और दुष्टों की उपेक्षा करना शामिल है। इससे पूर्व, साइंटिस्ट एंड इंजीनियर विंग, माउंट आबू के उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंघल ने राज्यपाल का स्वागत किया। साइंटिस्ट एंड इंजीनियर विंग के राष्ट्रीय समन्वयक श्री भारत भूषण जी ने ‘‘खुशनुमा जिन्दगी’’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
माउंट आबू से आये श्री प्रकाश ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। राज्यपाल की धर्मपत्नी श्रीमती दर्शना देवी, राज्यपाल के सलाहकार डॉ. शशीकांत शर्मा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।