9 वेब पोर्टल के माध्यम से 73 प्रमुख सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही है
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
सचिव प्रशासनिक सुधार (एआर) डॉ. पूर्णिमा चौहान ने आज यहां लोक सेवा गारंटी अधिनियम-2011 पर एक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार समयबद्ध सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने के भरसक प्रयास कर रही है ताकि सार्वजनिक सेवाएं प्रदेश के लोगों के लिए सही मायनों में वास्तविकता बन सके।
उन्होंने कहा कि नागरिकों के जागरूक न होने पर भी प्रदेश सरकार समयबद्ध सेवाएं प्रदान करने तथा हिमाचल प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम-2011 को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार 27 विभागों की 188 समयबद्ध सेवाएं प्रदान कर रही है और इन सेवाओं का अनुश्रवण राज्य तथा जिला स्तर पर 13000 नोडल अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह व्यापक कार्य हैं तथा अधिकारियों और नागरिकों के लिए इसका पूरा खाका तैयार किया गया है जोकि नागरिकों के विभिन्न अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि 9 वेब पोर्टलों के माध्यम से लगभग 73 प्रमुख सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं ताकि दूरदराज के लोगों को सरकारी सुविधाओं तथा अपनी शिकायतों के निवारण के लिए राज्य या जिला मुख्यालय के चक्कर न काटने पड़े और उनकी समस्याओं का समाधान घरद्वार पर सम्भव हो सके। उन्होंने कहा कि नागरिकों को बिना किसी विलम्ब से शीघ्रता से सेवाएं प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री डैशबोर्ड भी आरम्भ किया जा रहा है। इसकी मदद से मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं विभिन्न विकासात्मक योजनाओं की प्रगति की जानकारी की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी। डैशबोर्ड पर विभिन्न विभागों के विभिन्न आंकड़े व गतिविधियों को प्रदर्शित किया जाएगा जिससे सभी विभागों की चौबीस घण्टे सूचना मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश 2018 में 12 छोटे राज्यों में पहले स्थान पर आंका गया है। प्रदेश सात विषयों, अठारह फोक्स विषयों तथा एक सौ मानकों के एक स्वः मूल्यांकन तंत्र के रूप में शासन प्रदर्शन को मापने के लिए जिला सुशासन सूचकांक में पहला राज्य हैं उन्होंने कहा कि हमने जिला स्तर पर भी अनुक्रमणिका तैयार की है और समग्र प्रदर्शन में शिमला को सभी जिलों में प्रथम श्रेणी में रखा गया है।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम हिमाचल प्रदेश के लोगों को निर्धारित समय सीमा के भीतर सेवाएं प्रदान करने के लिए उपलब्ध है। अधिनियम में सेवाएं प्रदान न करना अथवा पर्याप्त एंव उचित कारणों के बिना सेवाएं प्रदान करने में विलंब की स्थिति में जिम्मेवार अधिकारी को पांच हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें सार संग्रह पर पहले ही छः मामले प्राप्त हो चुके हैं और इन पर जुर्माना लगाया जा चुका है। इससे न केवल सुशासन के मानकों में सुधार होगा, बल्कि समाज को सुशासन के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान होगा।
संयुक्त निदेशक सूचना एवं प्रौद्योगिकी अनिल सेमवाल, उप सचिव (राजस्व) पी.के. टॉक, उप निदेशिक (उद्योग) संजय शर्मा, सचिव, हि.प्र. राज्य सूचना आयोग कृष्ण कुमार तथा उप मुख्य अभियंता (एचपीएसईबीएल) विद्युत एन.पी. गुप्ता ने कार्यशाला में पावर प्वाइंट पर प्रस्तुतियां दी।
कार्यशाला के दौरान उप सचिव राजेश शर्मा, प्रो. आर.एस. कपूर, हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान, प्रशासनिक सुधार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यशाला में उपस्थित थे।