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कल्लर गांव में आज भी लोग आदिवासियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे

Byjanadmin

May 18, 2019

आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी आज भी बिजली, स्कूल, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, सड़क से मेहरूम है गांव



जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर

भाखड़ा बिस्थपितों का एक ऐसा गावं कल्लर जो पंजाब हिमाचल सीमा पर स्थित पंजाब में आता है। आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी आज भी बिजली, स्कूल, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, सड़क से मेहरूम है। गांव में आज भी लोग आदिवासियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं । इस गावं के कई घरों को हिमाचल ने रोशन किया है, बिजली दी हैं लेकिन बिडंबना यह है पंजाब सरकार इस गावं को भुला चुकी है। लगभग 10 से 12 घरों में ग्रामीण महिलाये आज भी दीपक की रौशनी में खाना बनाती हैं। बच्चों को पढ़ाती हैं । इस गावं का नाम कल्लर है। ये कोई दुर्गम इलाके में नहीं , श्री आंनदपुर साहिब से लगभग 24 किलोमीटर दूर हैं और श्री नैना देवी से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। हिमाचल और पंजाब सीमा पर बसा ये गांव कुछ और ही हकीकत बयां करता है। इस गांव में लगभग 60 से 70 घर है। कई घरों को हिमाचल सरकार ने बिजली दे दी है लेकिन अभी भी कुछ घर बिजली से महरूम है। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि इस गांव में चुनावों के समय नेता लोग पहुंचते हैं लेकिन चुनावों के बाद इस गांव में कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री इस गांव में अभी तक नहीं पहुंचा है। बुजुर्गों को यह पता ही नहीं कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है। स्थानीय निवासी अमर चंद ,शक्ति राम ,ज्ञान चंद ,पोलाराम ,संजय कुमार ,बिट्टू ,प्यार सिंह ,कृष्ण दयाल का कहना है कि वह आज भी 100 वर्ष पहले का जीवन व्यतीत कर रहे है । न स्कूल, ,न आगनबाड़ी केंद्र, न हॉस्पिटल, । गावं की महिलाओं ने देश के नेताओं से मांग की है कि कम से कम उनके गांव में मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, डिस्पेंसरी, सड़क मुहैया करवाई जाए ताकि वह भी अन्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकें। लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग तो इन सुविधाओं के लिए तरस-तरस मृत्यु को प्राप्त हो गए लेकिन आज उनकी भी हालत यही है ।

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