जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
मुख्य सचिव बी. के. अग्रवाल ने शिमला में जलापूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मई, 2018 के दृष्टिगत सरकार शिमला में जलापूर्ति एवं गुणवत्ता की निगरानी कर रही है, जिसके फलस्वरूप सम्बद्ध विभागों के साथ जलापूर्ति के लिए समन्वय स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि शिमला शहर के निवासियों को पहली बार प्रतिदिन पानी की आपूर्ति की जा रही है तथा नगर निगम के सभी वार्डों को समय सारिणी के अनुसार 48 मिलियन लीटर से अधिक पानी की प्रतिदिन आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जलापूर्ति में वृद्धि गुम्मा पम्पिंग स्टेशन एवं जाखू, ढिंगूधार, कामना देवी और नॉर्थओक के पुराने पंपों को बदले जाने के कारण हुई है। शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) ने 14 किलोमीटर लम्बी रिसाव वाली पुरानी पाईप लाईन को बदल पानी की बर्बादी को रोका है। इस वर्ष नए पानी के कनैक्शन पर रोक नहीं है तथा 1489 नए पानी के कनैक्शन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि समयबद्ध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ष पुराने 154 कंट्रोल वाल्वस बदले गए हैं।
उन्होंने कहा कि गुम्मा, गिरी तथा कोटी बरांडी स्थित फिल्टरेशन प्रणालियों को स्तरोन्नत किया गया है जिसके कारण स्वच्छ जल की आपूर्ति में तेजी सुनिश्चित हुई है। जल की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुसार करने के लिए की 20 स्थानों से जल के नमूने एकत्रित कर उनकी जांच आईजीएमसी में की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष शिमला में पीलिया रोग का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सभी जल भण्डारण टैंकों की सुरक्षा एवं सफाई के लिए उनकी तालाबंदी तथा पार्षदों और आमजनता की उपस्थिति में वर्ष में दो बार टैंकों की सफाई की जा रही है। एसजेपीएनएल द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों के फलस्वरूप स्थापित 54 एमएलडी क्षमता के साथ अब 60 एमएलडी तक पानी उठाने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि क्लोरीन द्वारा पानी के शुद्धिकरण पर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत तंत्र स्थापित किया गया है। सिवरेज संग्रहण एवं उपचार में 100 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो अब 7 एमएलडी से बढ़कर 14 एमएलडी हो गया है।
एसजेपीएनएल ने दिसम्बर माह तक सभी घरों के रसोई एवं स्नानगृहों के जल को सिवरेज नेटवर्क के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि एसजेपीएनएल ने वॉल्यूमेट्रिक बिलिंग आरम्भ की है जिसके फलस्वरूप घरेलू पानी के बिलों में 50 प्रतिशत से अधिक की कटौती हुई है। उपभोक्ता संबंधी जानकारी का डिजिटलीकरण किया गया है जिससे उपभोक्ताओं को जून माह से पानी के बिलों की ऑनलाईन अदायगी की सुविधा प्राप्त होगी।
बी.के. अग्रवाल ने कहा कि एसजेपीएनएल द्वारा आरम्भ किए गए आईईसी अभियान के माध्यम से उपभोक्ताओं को पानी की बर्बादी रोकने एवं रिसाव संबंधी सूचना देने के लिए जागरूक किया गया है। एसजेपीएनएल नियमित रूप से पानी के संरक्षण के लिए कार्यालय परिसरों तथा होटलों में कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ‘जल सखी’ नामक महिला समूहों का गठन किया गया है जो पानी के रिसाव, ओवरफ्लो, दुरूपयोग तथा अन्य जल संबंधी शिकायतों की रिपोर्ट एसजेपीएनएल की शिकायत निवारण प्रकोष्ठ को देगा।
प्रधान सचिव शहरी विकास प्रबोध सक्सेना, आयुक्त नगर निगम पंकज राय, निदेशक (सिविल) हिमाचल प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड धर्म सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल, निदेशक शिमला जल प्रबन्धन निगम, प्रमुख अभियन्ता सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग और मुख्य अभियन्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।