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हिमाचल प्रदेश वर्ष 2022 तक पूर्ण प्राकृतिक खेती अपनाने वाला राज्य बनकर उभरेगा : राज्यपाल

Byjanadmin

May 25, 2019


जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रदेश सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान लगभग 50 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने प्रदेश में प्राकृतिक खेती की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया तथा उम्मीद जताई की वर्ष 2022 तक हिमाचल पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले राज्य के रूप में उभरेगा।

राज्यपाल डॉ. वाई.एस. परमार वानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय नौणी, ज़िला सोलन में आज कृषि विभाग द्वारा आयोजित ‘प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना’ के अतंर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि उनके पास रासायनिक तथा जैविक खेती का लगभग 25 वर्षों का व्यावहारिक अनुभव है, लेकिन उन्होंने अन्त में प्राकृतिक खेती को चुना क्योंकि यह कई मायनों में लाभदायक सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि यह हमारे पर्यावरण के संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने, उत्पादन की लागत में कमी लाने तथा किसानों की आर्थिकी में सुधार में सहायक सिद्ध हुई है।

राज्यपाल ने इस दिशा में कृषि विभाग की पहल व प्रयासों की सराहना की तथा कृषि के इस तरीके का प्रचार तथा लागू करने के लिए विभागीय अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसान मेहनती हैं तथा अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए अधिकारियों द्वारा खेती करने के लिए दिए गए निर्देशों की अनुपालना करेंगे।

इससे पूर्व प्रधान सचिव कृषि आेंकार शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार को कृषि के लिए इस पद्धति को अपनाने के बाद इस खेती के लिए 25 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि विभाग के प्रयासों के फलस्वरूप पिछले वर्ष 500 किसानों के लक्ष्य के मुकाबले 3000 किसानों को इस योजना के तहत लाया गया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस वर्ष 50 हजार किसानों के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा, जिसके लिए प्रदेश में अधिक से अधिक प्रशिक्षण शिविर व कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

प्राकृतिक खेती के कार्यकारी निदेशक डॉ. राजेश्वर चन्देल ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत किया।

इस अवसर पर कार्यशाला के दौरान प्रगतिशील किसानों तथा बागवानों ने प्राकृतिक खेती के बारे में अपने अनुभव सांझा किए, जिनमें शिमला के भूपेन्द्र वर्मा, किन्नौर के हितेन्द्र मोहन, सोलन के सोहन लाल, मण्डी के बलदेव सिंह, कांगड़ा के भूमि चन्द, ऊना के यशपाल, बिलासपुर के गगन पाल, कुल्लू के त्रिलोक भारद्वाज, कांगड़ा से शोभा देवी शामिल हैं।

आत्मा सोलन के परियोजना निदेशक कुलवंत सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। नौणी विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डॉ. एच.सी. शर्मा, प्राकृतिक खेती के परियोजना निदेशक राकेश कंवर, उपायुक्त सोलन विनोद कुमार, पुलिस अधीक्षक मधुसूदन, कृषि विभाग के वैज्ञानिक व वरिष्ठ अधिकारी भी अन्य सहित इस अवसर पर उपस्थित थे।

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