इसे समाप्त करने की मांग को किया रद्द : अमरनाथ खुराना
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी परिसंघ के राज्य प्रधान अमरनाथ खुराना ने कहा है कि शिमला के एक कर्मचारी द्वारा बिना किसी चुनाव के ही और बिना कर्मचारियों की किसी मांग के ही खुद को कथित तदर्थ कर्मचारी महासंघ का प्रधान घोषित करके बे सिर -पैर की ब्यानबाजी करते हुए हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने की कर्मचारी विरोधी मांग की है , जिसे कर्मचारी किसी भी सूरत में सहन नहीं करेंगे और यदि उसने सरकार और कर्मचारियों को गुमराह करने वाली इस प्रकार की ब्यानबाजी तुरंत बंद नहीं की तो कर्मचारी उसका घेराव करने को विवश होंगे ,जिसका सारा उत्तरदायित्व उसी पर होगा ।अमरनाथ खुराना ने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की जब 1986 में स्थापना की गई थी तो इसे हाई कोर्ट के समान दर्जा दिया गया था और इसके प्रत्येक फैसले की अपील का अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट में ही था , किन्तु अब इसके प्रत्येक फैसले की अपील करने का अधिकार हाईकोर्ट में होने के कारण कर्मचारियों को सस्ता व त्वरित न्याय प्रदेश में ही प्राप्त हो रहा है ।खुराना ने कहा कि यह सत्य है कि इस प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की स्थापना 1986 में कर्मचारी नेताओं को तंग व प्रताड़ित करने के उदेश्य से की गई थी और यही कारण था कि उस समय कर्मचारी महासंघ के राज्य अध्यक्ष रामसिंह को प्रदेश सरकार के अन्याय व प्रताड़ना के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में जाना पड़ा था और भारी भरकम धन व समय व्यय करना पड़ा था और न्याय पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी । इसलिए उस समय इस प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने की मांग उठाई गई थी । किन्तु अब वह स्थिति नहीं है और इससे कर्मचारी लाभान्वित हो रहे हैं । उन्होने कहा कि हिमाचल हाई कोर्ट में पहले ही हजारों मामले लंबित हैं और यदि कर्मचारियों के मामलों की सुनवाई वहाँ करने के सरकार आदेश करती है तो फिर उन्हें न्याय प्राप्त करने में काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा और फिर फैसले के विरुद्ध अपील करने के लिए भारी धन व समय बर्बाद करके दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में जाना पड़ेगा । खुराना ने हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि वे कुछ कथित स्वार्थी कर्मचारी नेताओं की बातों में न आयें और इस प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में और अधिक सदस्यों की नियुक्तियाँ करके इसे सुदृढ़ करने के आदेश दें ,ताकि कर्मचारियों को सस्ता व सुलभ न्याय मिल सके और लंबे समय तक न्याय पाने के लिए इंतजार न करना पड़े।