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गोबिन्द सागर पर लूहणु से बेरी दड़ोला पल का निर्माण शीघ्र आरंभ किया जाए : राम सिंह

Byjanadmin

Jun 5, 2019


जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
गोबिन्द सागर घाट सुधार सभा ने कोई 12 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा गोबिन्द सागर पर लूहणू से बेरी दड़ोला पुल निर्माण का शिलान्यास किए जाने के बाद , उस पर कोई 40 लाख रुपए व्यय किए जाने के वावजूद, एक दम निर्माण कार्य को ठप्प कर देने और फिर लोक निर्माण विभाग दारा एकाएक आँखें मूँद लेने की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है और कहा है कि इस पुल का निर्माण कार्य तुरंत आरंभ किया जाये अन्यथा सभा शीघ्र ही हिमाचल हाईकोर्ट में इसके निर्माण के लिए एक जनहित याचिका दाखिल करने को विवश होगी , जिसकी सारी जिम्मेवारी सरकार और संबन्धित विभाग पर होगी ।
सभा के प्रधान रामसिंह और महासचिव विजेंद्र चंदेल ने कहा है कि बिलासपुर नगर को पिछड़े क्षेत्र झंडूता से जोड़ने अथवा सीधा संपर्क बनाने के लिए इस पुल का निर्माण किया जाना अत्यंत आवश्यक है, जिसकी पिछले कोई 40 वर्षों से बिलासपुर की जनता द्वारा निरंतर मांग की जा रही है । उन्होने कहा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक विभिन्न सरकारों द्वारा इस पुल निर्माण के वादे , झांसे और प्रलोभन दिये जाते रहे और हर बार चुनावों में इसे एक मुद्दा बना कर राजनेता सत्ता के सिहांसन पर विराजमान होने में सफलता भी पाते रहे, किन्तु इसे बनाने के लिए किसी भी सरकार और राजनेता ने कोई भी गंभीर प्रयास नहीं किए , जिस कारण जिले की पिछड़ी कोट धार की जनता लंबे और दूर-पार से गुजरने वाली सड़कों से होते हुए अधिक समय और धन व्यय करके बिलासपुर नगर में आने को विवश हैं ।
रामसिंह ने कहा कि इस सारे क्षेत्र की कोई दो दर्जन पंचायतों के हजारों लोगों को गर्मी –सर्दी के मौसम में गोबिन्द सागर के दोनों तटों पर भारी फिसलन और दल दल के कारण जहां भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है वहीं मोटर वोटों में अपनी जान हथेली पर रख कर हर रोज सफर करना पड्ता है क्यूँ कि गोबिन्द सागर के घटते और बढ़ते जल के कारण दोनों ओर घाटों पर भारी फिसलन और सिल्ट के कारण स्कूल – कालेज जाने वाले बच्चों और विशेष तौर पर लड़कियों और महिलाओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।उन्होने सरकार से मांग की कि इस पुल का निर्माण शीघ्र आरंभ करने के आदेश दिये जाएँ ताकि लोगों को प्रति दिन आने वाली कठिनाइयों से स्थाई तौर पर राहत मिल सके ।

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