गरीबों के लिए वस्त्र, बच्चों की किताबें, बच्चों के कपड़े तथा बूट इत्यादि मात्र 10 रूपए प्रति पीस के रूप में उन्हें उपलब्ध करवाए जा रहे
अरूण डोगरा रीतू
मुख्य संपादक
हरियाणा प्रदेश विभिन्न प्रकार की विविधताओं के लिए जाना जाता है। चाहे वहां की संस्कृति हो या फिर धार्मिक स्थल। हरियाणा का नाम हमेशा स्वर्ण अक्षरों मंक लिखा जाता रहा है ।अब एक ऐसा उदाहरण हरियाणा के करनाल शहर में प्रस्तुत किया गया है । जिसके बारे में ना तो सोचा जा सकता है और ना ही इससे पहले कभी किसी ने ऐसा प्रयास किया होगा। जी हां करनाल के सहयोग फाउंडेशन ने गरीब के सपनों की दुकान खोलकर उनका सपना वास्तव में साकार किया है ।
सहयोग फाउंडेशन ने अपने सभी सदस्यों के साथ मिलकर मुहिम को दिया जन्म : शेफाली राव
करनाल के चार चमन एरिया में सहयोग फाउंडेशन द्वारा यह दुकान खोली गई है जहां पर गरीबों के लिए वस्त्र, बच्चों की किताबें, बच्चों के कपड़े तथा बूट इत्यादि मात्र 10 रूपए प्रति पीस के रूप में उन्हें उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । सहयोग फाउंडेशन की अध्यक्ष शेफाली राव ने बताया कि इस समय हमारे देश में ऐसे गरीब बहुत हैं जिनके पास अपने बच्चों के लिए तथा खुद के लिए पहनने के लिए सही तरह के कपड़े नहीं होते हैं । हमारे देश में मध्य उच्च वर्ग ऐसा भी है जो फैशन के लिए कपड़ों को खरीदता है तथा एक बार पहनने के बाद वह कपड़े बेकार हो जाते हैं । ऐसे में वह लोग या तो उन कपड़ों को नौकरों में बांट देते हैं या फिर फेंक देते हैं। उन्होंने बताया कि सहयोग फाउंडेशन ने अपने सभी सदस्यों के साथ मिलकर एक ऐसी मुहिम को जन्म दिया कि इस तरह के कपड़ों को एकत्र करके उन्हें अच्छी तरह से धोकर और साफ करने के बाद प्रेस करके ऐसे लोगों को उपलब्ध करवाया जाए जो कि वास्तव में इसकी जरूरत समझते हैं । उन्होंने बताया कि इस संस्था ने 1 वर्ष पहले 5 रूपए में सादा भोजन गरीबों को उपलब्ध करवाने की मुहिम भी आरंभ की थी लेकिन किसी कारणवश वह फिलहाल बंद है जिसे फिर से आरंभ किए जाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि करनाल के इस क्षेत्र में यह दुकान किराए पर ली गई है लेकिन इसका सारा खर्चा सहयोग फाउंडेशन के सदस्य आपस में मिल बांटकर पूरा कर रहे हैं । और जो भी राशि बिक्री से जमा होगी उससे तथा उसमें अपना सहयोग डालकर उस भोजन की व्यवस्था को फिर से आरंभ किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि इस दुकान में सामान लेने के लिए कुछ नियम रखे गए हैं। जिनमें सबसे पहले तो आधार कार्ड के द्वारा यह वेरीफाई किया जाता है कि वास्तव में इससे सुविधा को लेने वाला गरीब है या नहीं । उसके उपरांत एक परिवार को तीन या चार जोड़ी कपड़ों के अलावा अधिक नहीं दिया जाता ताकि यह लाभ हर परिवार को मिल सके । उन्होंने सभी संभ्रांत वर्ग के लोगों से आग्रह किया है कि वह अपने बेकार हो चुके कपड़ों को सहयोग फाउंडेशन के लिए उपलब्ध करवाएं ताकि वह गरीबों के सपने को साकार कर सकें।