प्रदेश सरकार व्यवस्था को लेकर कोई निर्णय नही लेती तो मुख्यमंत्री निवास के बाहर अनशन
आये दिन सड़कों पर बेसहारा पशु हो रहे दुर्घटना का शिकार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 32130 बेसहारा गौ वंश सड़को पर
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर बेसहारा गौवंश की बढ़ती तादाद को लेकर यह स्पस्ट है कि सरकारे सिर्फ इन बेसहारा गोवंश को लेकर धर्म के नाम पर राजनीति करती आई है। यह बात प्रगति समाज समिति जिला बिलासपुर के गौ वंश सेवक एवम प्रधान सुनील कुमार शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार यदि बेसहारा गौ वंश की स्थायी व्यवस्था को लेकर कोई निर्णय नही लेती तो उन्हें इस गम्भीर विषय को लेकर मुख्यमंत्री निवास के बाहर अनशन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि आये दिन जिला की सड़कों एवम राष्ट्रीय उच्च मार्गो पर बेसहारा पशु किसी अनजान वाहन टक्कर से दुर्घटना का शिकार हो रहे है परंतु इन घायल पशुओ की लाचारी एवम उपचार करने वाला कोई नही है जबकि कई बार जिला प्रशासन से भी इन बेसहारा पशुओ के लिए सहारा देने के लिए उचित व्यवस्था की मांग की परन्तु अनेक प्रशसनिक अधिकारी आये गए किसी ने भी इन बेसहारा पशुओ के रहने के लिए स्थाई व्यवस्था नही की।जबकि जिला में कई गौ शालए वर्षो से खाली पड़ी है। उन्होंने कहा कि इस दयनीय विषय को लेकर पहले भी कई बार सरकार एवम प्रशासन को ज्ञापन दिए परन्तु आज तक कोई स्थाई व्यवस्था इन बेसहारा गौ वंश के लिए नही की गई। जबकि हाल ही में बेसहारा गौवंश को लेकर ज्ञापन प्रदेश मुख्यमन्त्री को भी सौंपा है जिसमे प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि हिमाचल प्रदेश में कुल 3243 पंचायते है और सरकारी आंकड़ों के अनुसार 32130 बेसहारा गौ वंश सड़को पर है यदि सरकार प्रत्येक पँचायत को 10 पशुओ को पालने व रखने की जिम्मेदारी दे तो इस गम्भीर समस्या का आसानी से समाधान हो जाएगा। दुर्गम क्षेत्रो को छोड़कर जहां पर हजारों बीघा जमीन बेसहारा गौ वंश के लिए दी है उसमें भी इन्हें आश्रय देकर सड़को पर दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। कृत्रिम गर्भाधान को समाप्त करके भी गौबश की बृद्वि पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लावारिश गौबंश स्थानीय पंचायतों एवम नगरपालिका के नाम पंजीकृत किया जाए ।बाहरी राज्यो से भी पशुओ की खरीद फरोख्त बन्द करवाई जाए। घरेलू गौ शालाये एवम लघु उधोगो के रूप में संचालित गौ शालाये भी पंजीकृत की जाए यहां तक कि जो यहां से होने वाले सवर्धन पर पंजीकरण करने वाले अधिकारियों की देख रेख में किया जाए। जिन के निर्माण में सरकार ने करोड़ो रूपये की राशि खर्च की है यदि सरकार इन बेसहारा गौवंश के लिए स्थाई ठहराव व्यवस्था में नाकाम है तो करोड़ो रूपये की राशि में दर्जनों गौ शालए तैयार करने का क्या मकसद रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ एक गौ शालाये प्रत्येक सरकार ने कुछ एक ठेकेदारो के पोषण के लिए चला रखी है जहाँ पर बाहरी राज्यो से नस्ल की दुधारू गाय रखी गई है परंतु उनका एक भी बछड़ा उन गौ शालाओ में नही है। जिसके लिए सरकार को चाहिए कि इन गौ शालाओ जांच की जाए किें पैदा होने वाले बछड़े कहाँ पर चले जाते है।