कोरोना वायरस इंसानों को ही नहीं, विश्व अर्थव्यवस्था को भी बीमार कर रहा है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने सोमवार को जारी एक विशेष रिपोर्ट में कहा है कि कई देशों में कोविड-19 बीमारी फैलने से वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा तिमाही में एक बड़े झटके से गुजर सकती है, जो 2009 में आई मंदी के बाद पहली बार होगा। हालांकि 2020 के लिए ओईसीडी ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को करीब आधा प्रतिशत ही घटाया है, लेकिन यह भी कहा है कि यदि वायरस दुनिया में व्यापक तौर पर फैल जाता है और गर्मी में भी इसका असर बरकरार रहता है तो यह वृद्धि 2.9 प्रतिशत के अनुमान की लगभग आधी, यानी 1.5 प्रतिशत तक भी पहुंच सकती है।
विश्व बैंक पहले ही कोरोना की वजह से ग्लोबल ग्रोथ रेट में एक फीसद तक की गिरावट की आशंका जता चुका है। कोरोना की वजह से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और अमेरिका के कारोबार में सुस्ती गहरा रही है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पडऩा तय है। चीन ग्लोबल स्तर पर विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) का सबसे बड़ा खरीदार है। वहां मांग में कमी के कारण विश्व स्तर पर कच्चा तेल, तांबा, सोयाबीन जैसे कई उत्पाद सस्ते हो जाएंगे लेकिन जिन देशों की अर्थव्यवस्थाएं चीन को इन चीजों की आपूर्ति पर निर्भर करती हैं उनकी, खासकर लैटिन अमेरिका के कई देशों की हालत खराब हो जाएगी।
मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से जुड़ी खबरों और आशंकाओं के चलते दुनिया भर का टूरिज्म प्रभावित हो रहा है। चीन का पर्यटन कारोबार पूरी तरह से ठप है। विदेशी उड़ानें चीन नहीं जा रही हैं और क्रूज यात्राएं भी रद्द हैं। दूसरी तरफ 30 लाख चीनी हर साल अमेरिका घूमने जाते हैं। इटली में बीमारी फैलने से पर्यटक अब यूरोप जाने से भी कतराने लगे हैं, जिससे वहां का पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में फैक्ट्रियों के बंद होने से ऐपल, नाइकी और जनरल मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियां प्रभावित हो रही हैं।
माल की कमी के चलते अमेरिका के वॉलमार्ट और अमेजन स्टोर में अगले एक-दो महीने में सभी सामानों की कीमतें बढ़ जाएंगी। अमेरिका की विकास दर 2020 में 0.2 फीसद की गिरावट के साथ 1.7 फीसद रहने का अनुमान है। अपना लगभग एक तिहाई व्यापार अमेरिका और चीन के साथ ही करने वाला भारत भी इस आर्थिक संकट से अछूता नहीं रहेगा।
चीन से आयात होने वाली जिन चीजों पर भारतीय उद्योग निर्भर हैं उन्हें लेकर भी दिक्कतें शुरू हो गई हैं। कच्चे माल की कमी और उत्पादन लागत बढऩे से हमारे निर्यात की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। हालांकि कुछ अर्थशात्रियों के अनुसार हमारी विकास दर पर कोरोना के असर की बात करना अभी जल्दबाजी होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार इस मामले में सतर्क है और हर स्तर पर विकल्प तलाशे जा रहे हैं।