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अकेला विज्ञान सजृनकर्ता नहीं हो सकताः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

Bynewsadmin

Feb 28, 2021

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारतीय वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि विज्ञान ने मानव को भौतिक प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा दिया है। मानव के भौतिक विकास हेतु विज्ञान अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक सोच, शोध और आविष्कारों ने जीवन को अत्यंत सरल और सहज बना दिया है परन्तु वैज्ञानिक आविष्कारों में मानवता  का होना बहुत जरूरी है। मानवता और मानवीय मूल्यों दया, करूणा, प्रेम, संयम, अहिंसा आदि गुणों और कल्याणकारी विचारों के कारण ही विज्ञान, मानव और प्रकृति का मित्र बन सकता है। मानवीय मूल्यों के साथ किया गया विकास ही स्वभाविक एवं सुव्यवस्थित विकास हो सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि एक विकासवादी भविष्य के निर्माण के लिये विज्ञान और आध्यात्मिकता का संयुक्त स्वरूप और दोनों का समन्वय बहुत जरूरी है। आध्यात्मिकता, विज्ञान की वह नींव है जिस पर विकास का मजबूत भवन खड़ा किया जा सकता है। नींव मजबूत होगी तो भवन स्थायी और सुदृढ़ होगा क्योंकि अध्यात्म और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं इसलिये दोनों को साथ लेकर चलना होगा, दोनों में से एक भी कमजोर होगा तो सतत विकास की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। विज्ञान, भौतिक प्रगति का आधार है परन्तु अकेला विज्ञान सजृनकर्ता नहीं हो सकता। विज्ञान के साथ मानवता और नैतिकता होगी तभी वह विध्वंसक नहीं बल्कि सृजन करने वाला होगा।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में एक ऐसी विकास प्रणाली विकसित करने की जरूरत है जो समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के साथ ही एक स्वावलंबी समाज का निर्माण करें तथा हमारे प्राकृतिक संसाधन और धरती माँ को भी जीवंत बनाये रखे। हमें ऐसी दुनिया का निर्माण नहीं करना जो अध्यात्म के स्थान पर भौतिकता को स्थापित करे, बल्कि हमें युवाओं को ऐसा प्रशिक्षण देना है जो कि मानवता को केंद्र में रखकर विकास करे। विकास भी ऐसा हो जो प्रकृति, पृथ्वी और मनुष्य की समस्याओं को केंद्र में रखकर पुनरुत्थान की ओर बढ़े। किसी ने क्या खूब कहा है कि ‘‘जीवन पथ पर दो महत्वपूर्ण सहारे है, धर्म और विज्ञान। विज्ञान बिना धर्म नहीं और धर्म बिना विज्ञान भावहीन। दोनों में संतुलन आवश्यक है, धर्मपरायण जिन्दगी और जिन्दगी में विज्ञान।’’भारत रत्न, भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, भारतीय भौतिक विज्ञानी सी वी रमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज को चिह्नित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को भारत में नेशनल सांइस डे मनाया जाता है। आज के दिन का उद्देश्य है कि मानव कल्याण के लिये तथा दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व और उपलब्धियों को समझें तथा नई तकनीकों को लागू कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने हेतु सहयोग प्रदान करें।

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