देहरादून: हरियाणा की राजनीति आयाराम-गयाराम के लिए बदनाम थी, लेकिन अब उत्तराखंड ने दल-बदल में हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है। मिशन 2022 के लिए कांग्रेस तय मान कर चल रही है कि अब उनकी बारी है इसलिए सरकार भी उन्हीें की आएगी। पिछले चार साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने जनता के लिए चवन्नी भर के मुद्दे भी नहीं उठाये हैं। कहने की बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस में आज अच्छे नेताओं का टोटा है और उनके पास दो दर्जन चेहरे भी ऐसे नहीं हैं जो अपने दम पर चुनाव जीत सकते हों। लिहाजा अब कांग्रेस की नीति वही है जो 2017 में भाजपा की थी यानि विधायकों की तोड़-फोड़।
एक मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि भाजपा के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। हाईकमान से बात कर उनको कांग्रेस में शामिल किया जाएगा। पूर्व सीएम हरीश रावत कहते हैं कि भाजपा के 18 विधायक उनके संम्पर्क में हैं। मजेदार बात यह है कि अधिकतर कांग्रेसजनों को आज इन दल-बदलुओं में अपना भविष्य दिखाई दे रहा है। पार्टी के जो गिने-चुने नेता अपने इलाके में कांग्रेस की इज्जत बचाए हुए हैं उनको दरकिनार कर दल-बदलुओं को टिकट दिया जाएगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए काम कौन करेगा? सवाल यह भी है कि क्या उत्तराखंड की जनता इतनी मूर्ख या मजबूर है कि इन दल-बदलुओं को ही जिताती रहेगी। क्या यह मान लिया जाए कि जिसकी लाठी भैंस उसकी? यानि पैसा फेंको और वोट खरीद लो। क्या जनता की मानसिकता बदलेगी और जनता इन दल-बदलुओं को सबक सिखाएगी।