देहरादून, आजखबर। देश में खुदरा कारोबार के फ्यूचर ग्रूप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच सौदे में अब सबकी निगाहें नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पर लग गई हैं। फ्यूचर ग्रूप की एक याचिका पर निर्णय देने के.दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस सौदे पर नियामक संस्था को आगे फैसला करने की हरी झंडी दे दी थी। फ्यूचर ने इस सौदे पर आपत्ति कर रहे एमेजॉन को नियामकों से बातचीत की अनुमति नहीं देने की गुहार लगाई थी। हालांकि न्यायालय ने.फ्यूचर की याचिका को खारिज कर दिया था।
मंजूरी दे चुका है। अब गेंद सेबी के पाले में है। शेयर बाजारों के अलावा एनसीएलटी के साथ ही सेबी की मंजूरी मिलना, इस सौदे में अब काफी अहम है। फ्यूचर कंपनी बोर्ड ने रिलायंस रिटेल को संपत्ति बेचने के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसे 21 दिसंबर के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैद्य करार दिया है। न्यायालय ने फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के सौदे को प्रथम दृष्टया कानूनी रुप से सही माना है। कंपनी मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक सेबी को फैसला लेने के लिए तीन महत्वपूर्ण बातों पर गौर करना होता है। पहला सौदे का प्रस्ताव कानूनी है कि नही। दूसरा सीसीआई की मंजूरी और तीसरा शेयर बाजारों की अनमति।