भोपाल: वर्ष 2003 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की फायर ब्राण्ड नेत्री सुश्री उमा भारती के अथक परिश्रम और सूझबूझ के चलते इस प्रदेश में दस साल तक चली पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांग्रेसी सरकार की सत्ता पलटने में भाजपा को सफलता मिली, वर्ष 2003 में सत्ता पर काबिज होते ही सुश्री उमा भारती ने पंच-ज का जो कार्यक्रम लागू करने की योजना बनाई थी यदि वह योजना आज प्रदेश में फलीभूत हो जाती तो इस प्रदेश की तस्वीर शायद आज कुछ और होती यही नहीं उमा भारती की तेज तर्राट कार्यशैली के चलते जहां प्रशासनिक अधिकारियों में तो दहशत थी ही तो वहीं भाजपा के कई नेताओं में उमा भारती की कार्यशैली की दहशत से घबराकर कई भाजपा के नेता अपनी चल-अचल सम्पत्ति के साथ कारोबार को बेचकर भोपाल में बसने का मन बनाने में लगे हुए थे इसी बीच भाजपा में मची राजनैतिक उथल पुथल के चलते उमा भारती तिरंगा अपमान के चलते उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा और बाबूलाल गौर और बाद में शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश भाजपा में मची हलचल के चलते भाजपा की जो सत्ता की कमान संभाली उसके बाद प्रदेश की सत्ता पर वह 15 वर्षों तक कायम हुए और उसी दौरान 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में शिवराज सिंह मुखाग्रबिन्द से निकले कुछ शब्दों का प्रभाव प्रदेश के मतदाताओं पर ऐसा हुआ कि वह इन विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाए और 15 वर्षों से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में इस प्रदेश में सत्ता हथिया ली थी लेकिन कमलनाथ के शासनकाल में तबादला उद्योग और किसानों बेरोजगारों और चुनाव के समय अपने वचन पत्र में किये गये वचनों से मुकरने के साथ-साथ जो माहौल पार्टी के नेताओं ने इस प्रदेश में तैयार किया उसके चलते वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल दलाली के अड्डे के नाम पर आज भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुखाग्रबिन्द से आरोप लगाये जाते हैं, कांग्रेस के प्रदेश के दो कद्दावर नेता कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के पुत्र मोह के चलते जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण प्रदेश के युवा मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर उसे सत्ता पर काबिज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी उन्हीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने जमकर उपेक्षा तो की ही साथ ही उनके समर्थक विधायकों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी उन सबसे परेशान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ा भाजपा का कमल का दामन थामने के चलते शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार प्रदेश की सत्ता का संभालने का अवसर प्राप्त हुआ। जिन शिवराज सिंह के बारे में आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमण्डल के सदस्य केन्द्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने 2007 में जब शिवराज सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के द्वारा अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदी के मामले को तत्कालीन भारतीयजनशक्ति के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में उजागर करते हुए 2007 के पत्र में लिखा था कि आपकी निर्णय न कर पाने की प्रवृत्ति और अब झूठ बोलना आर्थिक अपराधियों को खुला संरक्षण दे रहा है आपका विकास का ढोल भूखों की भूख भले ही समाप्त न कर पा रहा हो भ्रष्टाचारियों को संरक्षण जरूर कर रहा है वही शिवराज सिंह चौहान जिनके बारे में 2007 में तत्कालीन भारतीयजनशक्ति के महामंत्री के बतौर पटेल ने लिखने अपने पत्र में इस तरह के पत्रों का उपयोग किया था आज वही शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में जहां भ्रष्टाचारियों को संरक्षण तो मिल ही रहा है इसके साथ ही अब शिवराज सिंह ने संघ की लाइन पकड़ रखी है जिसके चलते वह इस प्रदेश में हिंदुत्व के एजेंडे पर अधिक जोर देने में लगे हुए हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मध्यप्रदेश को अत्याधिक महत्व दे रहा है। पहली बार एक ही जब मध्य क्षेत्र के मुख्यालय समिधा में सह सरकार्यवाहक स्तर के अधिकारी को तैनात किया गया है। बंगलुरु में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद संघ ने समिधा को सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य का मुख्यालय बनाया है। डॉ. मनमोहन वैद्य कठोर सिद्धांतनिष्ठ और विचारधारा के मामले में सख्त माने जाते हैं। डॉक्टर वैद्य संघ के सरकार्यवाह दत्तत्रेय होसबोले के अत्यंत विश्वास पात्र हैं। इसलिए उनकी मौजूदगी का अलग ही महत्व है। इसके अलावा संघ की सिफारिश पर भाजपा ने पी मुरलीधर राव को प्रदेश प्रभारी बनाया है जो संघ के प्रचारक हैं। यही नहीं एक अन्य प्रचारक और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश को भी भोपाल में मुख्यालय बनाकर रहने के लिए कहा है। जाहिर है संघ का नेतृत्व मध्यप्रदेश को अधिक महत्व दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लाइन को अत्याधिक महत्व दे रहे हैं। वैसे वे खुद संघी हैं और अखिल भारतीय परिषद के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता रह चुके हैं लेकिन पिछली तीन पारियों की अपेक्षा इस बार वे संघ को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। हाल ही में जिस तरह से विभाष उपाध्याय को प्रदेश जन अधिकार परिषद का उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंंत्री का दर्जा दिया गया है उससे भी यही जाहिर हुआ कि मुख्यमंत्री के लिए संघ के संकेत निर्देशेां के समान हैं। केविड-19 से निपटने के लिए जो जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन समितियां बनी हैं, उसमें भी संघ के प्रतिनिधियों को लिया गया है। इंदौर की ही बात करेें तो जिला आपदा प्रबंधन समिति में विभाग सह संचालक डॉ. निशांत खरे और संपर्क प्रमुख विनय पिंगले को लिया गया है। डॉक्टर खरे को वैक्सीन के संबंध में बनी गई प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति में भी रखा गया है। मुख्यमंत्री के संकेतों के कारण जिला प्रशासन डॉ. निशिकांत खरे को पूरा महत्व दे रहा है। यही स्थिति कमोबेश प्रत्येक जिले में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में हिंदुत्व को लेकर भी आक्रामक हैं। लव जिहाद कानून इसकी बानगी है। इस कानून के तहत लगातार गिरफ्तारियां भी हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में भी संघ की पसंद को महत्व दिया है और संघ की मंशा अनुरूप विभाग आवंटित किए हैंं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए मध्य प्रदेश कितना मायने रखता है। यही वजह है कि वे संघ के मध्य क्षेत्र के सभी शीर्ष पदाधिकारियों से लगातार संपर्क में रहते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा में बेहरतीन तालमेल हैं। दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं और तालमेल के साथ राजनीति कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि प्रदेश भाजपा में विवाद कम है। मुख्यमंत्री ने केवल विष्णु दत्त शर्मा ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी नेताओं से बेहतर तालमेल बनाया हुआ है। इनमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता शामिल हैं।