नईदिल्ली: मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कहा है कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजर अपने ग्राहकों को एक्सक्यूशन सर्विसेज की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन इसके लिये वे कोई फीस या कमीशन नहीं ले सकते. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने यह भी कहा कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजर उन संपत्ति प्रबंधन कंपनियों की तरफ से अपने ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं को लेकर भी किसी राशि के ‘रिम्बर्समेंट’ का फायदा नहीं ले सकते, जिनकी योजनाएं वे ग्राहकों को बेच रहे हैं.
सेबी के निवेश सलाहकार नियम के संदर्भ में पेटीएम मनी लि. की तरफ से मार्गदर्शन मांगे जाने के बाद यह स्पष्टीकरण जारी किया गया है. पीएमएल ने कहा कि फिलहाल वह कोई एडवाइजरी फीस या एक्सक्यूशन चार्ज नहीं ले रही और केवाईसी, टेक्नोलॉजी होस्टिंग, प्लेटफॉर्म मेंटेनेंस आदि पर होने वाले खर्च के लिये उन एएमसी से सेवा संबंधित भरपाई लेने को इच्छुक है, जिसकी योजनाएं (डायरेक्ट प्लान) वह बेच रही है.
पेटीएम मनी लि. का कहना था कि इसका कारण जिस लागत को कंपनी वहन कर रही है, अगर निवेश सीधे एएमसी के जरिये होता, तो खर्चा उन्हें (संपत्ति प्रबंधन कंपनी) उठाना पड़ता. उसने सेबी से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या एएमसी से ऐसे किये गये खर्च की भरपाई लेना निवेश परामर्श नियमों का उल्लंघन होगा?
सेबी ने सार्वजनिक किये गये अपने जवाब में कहा कि निवेश सलाहकार प्रतिभूति बाजार में अपने ग्राहकों को एक्सक्यूशन सर्विसेज उपलब्ध करा सकते हैं. नियामक के अनुसार, हालांकि, यह इस बात पर निर्भर है कि निवेश सलाहकार यह सुनिश्चित करेंगे कि वे इन सेवाओं के लिये किसी भी रूप में कमीशन या चार्ज सीधे या परोक्ष रूप से निवेश परामर्श समूह या परिवार के स्तर पर नही लेंगे.
सेबी ने कहा कि इस प्रकार की क्रियान्वयन सेवाएं केवल ‘डायरेक्ट स्कीम्स’ या उत्पादों के जरिये प्रतिभूति बाजार में ही उपलब्ध कराये जाने की जरूरत है. नियामक ने स्पष्ट किया कि उसके नियम निवेश परामर्शदाता (आईए) या उसके परिवार समूह को क्रियान्वयन के लिए कोई शुल्क अपने ग्राहकों से लेने से रोकता है.
सेबी ने कहा कि इसको देखते हुए पीएमएल उन एएमसी की तरफ से अपने ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं के एवज में कोई भरपाई नहीं ले सकती, जिनकी प्रत्यक्ष योजनाओं को वह बेच रही है.