ऋषिकेश। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर नशा मुक्ति हेतु हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नशा मुक्ति हस्ताक्षर अभियान पर प्रथम हस्ताक्षर कर इसका शुभारम्भ किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘‘अगर जीवन से है प्यार, तो तम्बाकू का करेे बहिष्कार।’’ जिन्दगी चुनो तम्बाकू नही क्योंकि तम्बाकू या जीवन में से एक को ही चुना जा सकता है इसलिये जीवन चुने, तम्बाकू नहीं। जीवन है तो सब कुछ है इसलिये विशेष कर युवा गर्व आज से, अभी से, नशे की छुट्टी करें।
अक्सर देखा गया है कि सिगरेट पीने वालों को लगता है कि मैंने सिगरेट सुलगायी है, परन्तु सच तो यह है कि सिगरेट जलाने वाले के जीवन को हर पल बुझाती रहती है, सिगरेट खुद तो जलती रहती है पर पीने वाले बुझना शुरू हो जाते हैं। वास्तव में सिगरेट मजा नहीं सजा है इसलिये यदि आपको अपने जीवन से और अपनों के जीवन से प्यार है तो तम्बाकू आदि सभी तरह के भी नशे का बहिष्कार करें। स्वामी जी ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि युवा वर्ग नशीले पदार्थों की आदतों के कारण आत्महत्या भी कर लेते हैं। इसके पीछे कई तरह के सामाजिक और आर्थिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। यथा काम का तनाव, घरेलू हिंसा, रोजी-रोटी का तनाव, आपसी मन मुटाव, प्रतिदिन के झगड़े, काम का अधिक बोझ,गरीबी, बेरोजगारी आदि कई समस्याओं हो सकती है परन्तु समस्यायें है तो समाधान भी हैं। जीवन की हर समस्या का समाधान होता है। स्वामी जी ने कहा कि नशा करना अर्थात् खुद के सपनों की मौत और परिवारवालों के अरमानों की हत्या करने के समान है। नशा आदत नहीं बल्कि एक सोच है, नशा सोच में होता है इसलिये सोच से नशे को बाहर निकालना होगा। तम्बाकू से केवल कैंसर ही नहीं होता बल्कि दिल की धड़कन को भी रोकता है तम्बाकू। भगवान ने गिनती की साँसे दी है। एक सिगरेट पीने से एक साँस कम हो जाती है, एक बीड़ी पीने से दो साँसे कम हो जाती है और एक पैकेट गुटका खाने से चार साँसे कम हो जाती है ऐसा मेडिकल रिसर्च कहती है। अभी हाल ही में देखिये कोरोना महामारी ने कईयों को हमसे छीन लिया। जिनकी इम्युनिटी स्ट्रांग थी जिनके फेफड़ों में किसी तरह का इन्फेक्शन नहीं था, मजबूत थे उनका जीवन तो बच गया बाकी इस जिन्दगी से हार गये इसलिये ’’जिन्दगी चुनें नशा नही’’।