देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा पहले दिन से काम करने के ऐलान के फैसले को ढकोसला बताया है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री को पहले दिन से ही काम करना था तो उन्हें सबसे पहले हाल ही में नौकरियों से निरस्त किए जाने वाले उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन कारियो की नौकरियों को बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य निर्माण किया उनके परिवारों में मां बहनों की आंखों में आंसू है और सरकार जो है पूरे राज्य में नए मुख्यमंत्री के चयन पर लड्डू बांटने पर आमादा है। प्रताप ने कहा नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं राज्य आंदोलनकारी हैं बेहतर होता कि वे तमाम राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन जो 5000 है और 3100 रुपए है उसको सामान पेंशन बनाकर और ₹15000 प्रति माह पेंशन उन्हें दिए जाने की घोषणा करते। उन्होंने कहा की कुर्सी पर आते ही पुष्कर सिंह धामी आंदोलनकारियों को भूल गए। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री के डे अधिकारी प्रेम सिंह राणा को उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगा था परंतु अभी तक भी मुख्यमंत्री के यहां से कोई जवाब नहीं आया। आपने पहले दिन से काम करने की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से यह भी कहा कि राज्य में मातृशक्ति की इज्जत लूटी है। एक भाजपा के विधायक सुरेश राठोर पर भाजपा की ही कार्यकर्ता ने उनके दैहिक शोषण का आरोप लगाया है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि यद्यपि वेे इस तरह के आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं देते परंतु फिर भी चाहे पहले दोनों के मधुर संबंधों और अब नाराजगी हो गई हो तो भी जब भगवान राम पर भी एक धोबी ने आरोप लगाया है तो उन्होंने अपनी परीक्षा दी थी इसलिए विधायक जी का केवल मुकदमा दर्ज किया जाना उचित नहीं है क्योंकि लोग यह कह रहे हैं। विधायक जी जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जब तक दूध का दूध पानी का पानी नहीं हो जाता मुख्यमंत्री को पहले कदम के रूप में विधायक सुरेश राठौर को जेल भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति परेशान हैं राज्य आंदोलनकारी परेशान हैं। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा नौजवानों को नौकरी दिए जाने की शुरुआत करने की प्रयास का स्वागत किया है और उम्मीद जाहिर की है कि यह घोषणा ढकोसला साबित ना होगी।