शिमला: ABVP हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने प्रदेश सरकार से एचपीयू की स्वायत्ता शीघ्र बहाल करने की मांग की है। ABVP हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश के CM जयराम ठाकुर ने कहा था कि सरकार जल्द ही विश्वविद्यालय की स्वायता बहाल करेगी और 2015 के अनुच्छेद 21 एवम 28 में हुए आपत्तिजनक संशोधन को शीघ्र वापस लेगी, विद्यार्थी परिषद इस फैसले का स्वागत करती है और उम्मीद करती है कि जल्द ही विश्वविद्यालय की स्वायता बहाल करने के निर्णय को अमलीजामा पहनाया जाएगा।
विशाल ने जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायत्ता पर विश्वविद्यालय के अधिनियम 1970 के अनुच्छेद 21 व 28 में किया गया संशोधन कई प्रकार की रुकावट खड़ी कर रहा है। उक्त अधिनियम में संशोधन कर के प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद जो कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च कार्यकारी एवं निर्णायक संस्था है, एवं कुलपति की शक्तियों को कम करने का प्रयास किया गया है। इसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर अपनी आवश्यकता अनुसार निर्णय नहीं ले पाता है। इस संशोधन की वजह से विश्वविद्यालय के कई विकासशील कार्यों में बाधा उत्पन हो रही है।
इस दौरान विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने कहा कि अनुच्छेद 28(1) के अंतर्गत विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं गैर शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के पदों का सृजन व पदों की भर्तियां, पदोन्नति नियमों का निर्माण एवं संशोधन इत्यादि सर्वप्रथम प्रदेश सरकार की वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है। उसके पश्चात वह प्रस्ताव कार्यकारिणी परिषद में विचारार्थ/ अनुमोदनार्थ हेतु प्रस्तुत किया जाता है। जिस वजह से विश्वविद्यालय में विकासशील कार्य करने में बहुत समय लगता है।
जहाँ तक पदों की भर्तियां व उनके सृजन का सम्बंध है, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों व गैर शिक्षकों की भर्तियां व पदों का सृजन प्रदेश सरकार के आदेशानुसार और स्वीकृति के बाद ही सम्भावित होती है। कई बार कुछ प्रकरणों पर विश्वविद्यालय द्वारा शीघ्र कार्यवाही तथा शीघ्र निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है। परन्तु उपरोक्त अधिनियम में संशोधन की वजह से इन कार्यों में बहुत देरी हो जाती है। विद्यार्थी परिषद का मानना है कि विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान के लिए विकास कार्यो में और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में देरी होना प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के लिए सही नहीं है।
ABVP प्रदेश सरकार से माँग करती है कि अधिनियम 1970 के अनुच्छेद 21 एवं 28 में वर्ष 2015 में किए गए संशोधन पर सरकार पुनः विचार करे तथा प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त अधिनियम में किए गए संशोधन को पुनः इसके मूल रूप में बहाल करे, ताकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायता यथावत बनी रहे।
इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने कहा कि प्रदेश सरकार अग्रिम विधानसभा सत्र में ही 2015 के अनुच्छेद 21 एवम 28 के संशोधन को वापस ले और शीघ्र विश्वविद्यालय की स्वायता को बहाल करे , किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए यह आवश्यक है कि वह पूर्णतः स्वायत हो ताकि छात्र हित में शीघ्र निर्णय लिए जा सकें। एबीवीपी ने चेतावनी दी है की यदि आगामी विधानसभा सत्र में विश्वविद्यालय की स्वायता पर चोट करने वाले 2015 के संशोधन को वापस लिया जाए अन्यथा विद्यार्थी परिषद छात्रों को लामबंद करते हुए आंदोलन करेगी।
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