CM ने वेबिनार के माध्यम से कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरूकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय का शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में भी योगदान रहा है। 19 वीं सदी के कालखण्ड में भारत में जिन महानुभावों ने जन जागृति की ज्योत जगायी उनमें ऋषि दयानन्द का प्रमुख स्थान रहा है।
CM ने कहा कि स्वामी दयानन्द ने गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की जो नींव डाली उससे भारत में पुनः सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपनी विशिष्ट योगदान दिया। आर्य समाज की स्थापना जहां उनके द्वारा किया गया महान कार्य था वहीं गुरूकुल आधारित शिक्षा प्रणाली को पुनः मुख्य धारा से जोड़ने का महान कार्य उन्होंने किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूकुल काँगड़ी एक विश्व विद्यालय ही नहीं बल्कि राष्ट्र आराधना के लिये तत्पर एक तीर्थ के समान भी है।
उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द ने सामाजिक जन जागरण की जो दृष्टि दिखाई उसे कार्यरूप में परिणति तक पहुंचाने का कार्य उनके महान शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द जी ने 1901 में गुरूकुल काँगड़ी की स्थापना कर की।
स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा अंग्रजों द्वारा लागू की गई शिक्षा पद्धति के स्थान पर वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने के लिये स्थापित गुरूकुल विद्यालय आज गुरूकुल काँगड़ी विश्व विद्यालय के रूप में शिक्षा का प्रमुख केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित है।
CM ने इस अवसर पर सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देते हुए स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर शिक्षा एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले संस्थान के योगदान पर सेमिनार के आयोजन के लिये आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन देवभूमि विज्ञान समिति के सचिव डॉ हेमवती नन्दन गुरूकुल काँगड़ी सम विश्वविद्यालय ने किया।
इस कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक श्री आदेश चौहान, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री जयंत सहस्त्रबुद्धे, प्रो. रूप किशोर शास्त्री कुलपति गुरूकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, प्रो के.डी. पुरोहित अध्यक्ष देवभूमि विज्ञान समिति प्रो. एन.एस भण्डारी, डॉ. नरेन्द्र सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया।