देहरादून : उत्तराखंड राज्य के विधान सभा सचिवालय में की गई सभी 228 पदों पर तदर्थ नियुक्तियों को पूरी तरह से समाप्त करने के बाद अब नियमानुसार नए सिरे से नियुक्तियां करने का खाका तैयार किया जा रहा है, तो वही अब दूसरी ओर सेवा से बाहर किए गए 228 कर्मचारियों के भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है । धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करने वाले पद बर्खास्त 228 कर्मचारियों को अपना भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है । उन्होंने सड़क से लेकर न्यायालय तक अपनी फरियाद रखी, लेकिन उनको अपनी मांग के अनुसार निराशा ही हाथ लगी। बड़ा सवाल यह सुर्खियों में है कि आखिर विधानसभा सचिवालय की सेवा से बाहर किए गए इन सभी 228 कर्मचारियों का कुसूर कहां पर रहा है?
विधानसभा सचिवालय में पिछले कुछ समय तक कर्मचारियों की नियुक्तयों के लिए जिस सेवा नियमावली का अनुपालन करते हुए नियुक्तियां की जाती रही है उनको पूरी तरह से अब समाप्त करते हुए नई नियमावली बनाई जा रही है । विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि राज्य की विधानसभा सचिवालय में अब नई नियुक्तियों को लेकर मनमानी नहीं चलेगी । उनका कहना है कि विधानसभा भर्ती एवं सेवा नियमावली का नया खाका अब तैयार किया जा रहा है, जिसे शीघ्र ही शासन को भेज दिया जाएगा । तत्पश्चात यह नया नियमावली का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा । जहां से पास होकर वह विधानसभा में आएगा और नियमावली को मंजूरी प्रदान कर दी जाएगी । इस नई प्रस्तावित भर्ती सेवा नियमावली में प्रावधान यह है कि उत्तराखंड के विधानसभा सचिवालय में अब जो भी भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाएगी, उसमें लोक सेवा आयोग एवं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से ही भर्तियां की जाएंगी । नियमावली में सीधी भर्ती के साथ ही पदोन्नति के नियमों में भी संशोधन किया जा रहा है जिससे कि आने वाले समय में अब उत्तराखंड विधानसभा की सचिवालय में की जाने वाली नियुक्तियां पूरी तरह से पारदर्शी बन सके । नियम विरुद्ध तदर्थ नियुक्तियों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी भूषण ने कठोर फैसला पिछले दिनों लिया था । जिस कारण से विधानसभा सचिवालय में सेवाएं देने वाले 228 तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को सेवा से बाहर कर दिया गया था । अपनी पद बर्खास्तगी को लेकर ही सभी कर्मचारियों ने प्रदेश के अंदर आंदोलन करते हुए अपनी बहाली की मांग की थी, लेकिन सड़क से लेकर अदालत तक अपनी लड़ाई एवं आवाज बुलंद करने वाले इन कर्मचारियों को अपनी मांगों से मेहरूम ही रहना पड़ा और आज उनके सामने उनका ही भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है । वर्ष-2016 से लेकर वर्ष-2021 तक की इन 228 कर्मचारियों की नियुक्तियां निरस्त करने के बाद कर्मचारियों का जो भविष्य दिखाई दे रहा है उसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? ऐसे में अब उत्तराखंड के अंदर शिक्षित बेरोजगारों के सामने अपने भविष्य को लेकर संकट खड़ा होता हुआ दिखाई दे रहा है I 228 कर्मचारियों ने तो अपनी सेवाएं विधानसभा सचिवालय को ईमानदारी से दी, लेकिन उनको एक ही झटके में बाहर करते हुए सड़क पर खड़ा कर उनके हाथों में बेरोजगारी का कटोरा थमा दिया गया है । मुख्य बात यह भी है कि इन कर्मचारियों को कसूरवार बताते हुए जिस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है? उसके लिए आखिर किया कोई नेता, अफसर अथवा सरकार जिम्मेदार कहीं पर भी नहीं है?