सुप्रीम कोर्ट में टीएचडीसी इंडिया लि. में 25 फीसदी की लड़ाई लड़ रही उत्तराखंड सरकार अब वार्ता के विकल्प पर भी पूरी गंभीरता से विचार कर रही है। माना जा रहा है कि अदालती जंग से बाहर योगी सरकार से बातचीत करके धामी सरकार 50-50 की हिस्सेदारी पर सहमति बना सकती है।
दोनों सरकारों के परस्पर संवाद के जरिये परिसंपत्तियों के विवाद सुलझे हैं। इसी तर्ज पर धामी सरकार बातचीत से टीएचडीसी में हिस्सेदारी चाहती है ताकि जल्द समाधान निकल सके। कोर्ट में चल रहे मामले में उत्तराखंड सरकार अपना पक्ष मजबूत मानकर चल रही है।
सरकार वार्ता के जरिये रास्ता निकाल रही
सरकार की ओर से मुद्दों का निर्धारण हो गया है। रिटर्न एवीडेंस भी दे दिए गए हैं। यूपी को अभी एवीडेंस देने हैं। इसके बाद क्रॉस एग्जामिनेशन होगा फिर बहस होगी। इस प्रक्रिया के लंबे खिंचने के आसार हैं इसलिए सरकार वार्ता के जरिये रास्ता निकाल रही है ताकि हिस्सेदारी का लाभ जल्द लिया जा सके। बेशक इसके लिए 25 हिस्सेदारी आधे पर यानी 12.50 प्रतिशत पर कबूलनी पड़े।
केंद्र सरकार का ऊर्जा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के लिए यह नियम है कि जिस राज्य में उसका मुख्यालय होगा, उस राज्य को 25 हिस्सेदारी मिलेगी। जब टीएचडीसी बनाया गया तब एक राज्य था। अब उत्तराखंड अलग राज्य है इसलिए राज्य हिस्सेदारी की दावेदारी कर रहा है। हम दोनों विकल्पों पर जा रहे हैं। राजनीतिक माध्यम से वार्ता के जरिये रास्ता निकालने का प्रयास है।