देहरादून,। आईसीएआर भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून द्वारा ‘विश्व मृदा दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सहारनपुर ज़िले (उ.प्र.) के मुज़फ्फराबाद ब्लॉक स्थित मण्डुवाला गाँव में प्रशिक्षण बनउ प्रदर्शन कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य मृदा के स्वास्थ्य के महत्त्व पर जागरूकता एवं मृदा संसाधनों के सतत प्रबंधन को बढ़ावा देना था। मण्डुवाला गाँव की किसान समिति के अध्यक्ष तेजूराम ने आईसीएआर आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून से आए सभी सम्मानित अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया।
इस अवसर पर डॉ. एम. शंकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान), ने मृदा संरक्षण की तकनीकों एवं आईसीएआर आईआईएसडब्ल्यूसी द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की जानकारी दी तथा किसानों को मृदा संरक्षण हेतु जैविक उर्वरकों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया। डॉ. इन्दु रावत, वरिष्ठ वैज्ञानिक (गृह विज्ञान), ने मृदा स्वास्थ्य के महत्त्व को समझाते हुए किसानों को जैविक एवं प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी। डॉ. रामा पाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक (पर्यावरण विज्ञान), ने उभरते प्रदूषकों द्वारा मृदा प्रदूषण एवं उसके समाधान पर जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ अपनाने पर बल दिया। सरिता गुप्ता ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य के महत्त्व एवं खेत से मृदा नमूना संग्रहण की विधि विस्तारपूर्वक समझाई। डॉ. एम. शंकर के निर्देशन में मुदित मिश्रा (वरिष्ठ तकनीकी सहायक) ने उर्वरकों के सटीक प्रयोग हेतु ड्रोन के उपयोग का जीवंत प्रदर्शन किया। ड्रोन स्प्रेइंग के लाभों पर विस्तार से चर्चा की गई, जैसे उर्वरकों एवं कीटनाशकों का समान रूप से वितरण, फसल के हर हिस्से को बराबर उपचार, तथा समय और श्रम की बचत। जहाँ मैन्युअल स्प्रेइंग में कई घंटे लगते हैं, वहीं ड्रोन द्वारा कुछ ही मिनटों में बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सकता है। एन. हना पामेई (वरिष्ठ तकनीकी सहायक) एवं प्रियंका खंतवाल (वरिष्ठ तकनीशियन) ने खेत में मृदा नमूना संग्रहण की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया तथा मृदा की उर्वरता स्थिति की जाँच हेतु इन नमूनों को आईसीएआर एवं कृषि विज्ञान केंद्र की प्रयोगशालाओं में भेजने की सलाह दी। इस कार्यक्रम में सौ से अधिक किसानों, जिनमें 50þ महिलाएँ शामिल थीं, ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया।