इसी से जुड़े एक मतदान में 6,259 लोगों में से 7० फीसदी ने यूआईडीएआई द्वारा ट्रिब्यून अखबार के पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करने को अपनी सहमति नहीं दी। ट्रिब्यून के पत्रकार ने आधार की जानकारी आसानी से हासिल किए जाने का खुलासा किया था।
आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने इसकी सिक्योरिटी के लिए बड़ा कदम उठाया है। इस दिशा में यूआईडीएआई ने एक नया कॉन्सेप्ट पेश किया है जिसका नाम है ‘वर्चुअल आईडी’। अब विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अपना आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा। आधार कार्ड होल्डर इसकी वेबसाइट से अपना 16 अंकों का वर्चुअल आईडी बना सकेगा जिसे वह सिम वेरिफिकेशन समेत विभिन्न जगह दे सकता है। यानी अब उसे अपना 12 अंकों का बायोमेट्रिक आईडी देने की जरूरत नहीं होगी।
यूआईडीएआई ने कहा है कि एक मार्च से यह सुविधा आ जाएगी। हालांकि 1 जून से यह अनिवार्य हो जाएगी।
यूजर जितनी बार चाहे उतनी बार वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकेगा। यह आईडी सिर्फ कुछ समय के लिए ही वैलिड रहेगी।
यूआईडीएआई के मुताबिक यह सीमित केवाईसी होगी। इससे संबंधित एजेंसियों को भी आधार डिटेल की एक्सेस नहीं होगी। ये एजेंसियां भी सिर्फ वर्चुअल आईडी के आधार पर सब काम निपटा सकेंगी। यूआईडीएआई ने वर्चुअल आईडी की जो व्यवस्था लाई है, इसके तहत यूजर जितनी बार चाहे उतनी बार वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकेगा। यह आईडी सिर्फ कुछ समय के लिए ही वैलिड रहेगी।
लिमिटेड केवाईसी सुविधा आधार यूजर्स के लिए नहीं बल्कि एजेंसियों के लिए है। एजेंसियां केवाईसी के लिए आपका आधार डिटेल लेती हैं और उसे स्टोर करती हैं। लिमिटेड केवाईसी सुविधा के बाद अब एजेंसियां आपके आधार नंबर को स्टोर नहीं कर सकेंगी। इस सुविधा के तहत एजेंसियों को बिना आपके आधार नंबर पर निर्भर हुए अपना खुद का केवाईसी करने की इजाजत होगी। एजेंसियां टोकनों के जरिए यूजर्स की पहचान करेंगी। केवाईसी के लिए आधार की जरूरत कम होने पर उन एजेंसियों की तादाद भी घट जाएगी जिनके पास आपके आधार की डिटेल होगी।
सवेर्क्षण-आधार विवरण की सुरक्षा को लेकर अधिकांश चिंतित
करीब 15,००० लोगों पर किए गए एक सवेर्क्षण में सामने आया है कि 52 फीसदी लोग सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने आधार विवरणों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस सवेर्क्षण को नागरिक मंच लोकलसर्किल ने किया है। इसमें लोगों से उनके आंकड़ों की साइबर सुरक्षा के बारे में पूछा गया। इसमें यूआईडीएआई द्वारा आधार जानकारी को हैकरों व सूचना विक्रेताओं से सुरक्षा में समर्थ होने को लेकर सवेर् में 2० फीसदी लोगों ने ‘कुछ हद तक आश्वस्त’ होने की बात कही, जबकि 23 फीसदी ने ‘पूरा विश्वास’ जताया।
सर्वेक्षण के दूसरे मत में पूछा गया कि किसी नागरिक या संगठन द्वारा जनता के आधार की जानकारी अनधिकृत तौर उपयोग करने के लिए क्या दंड होना चाहिए। इसके जवाब में 14 फीसदी लोग पांच साल की सजा और दो फीसदी लोग एक करोड़ रुपये के जुमार्ने के पक्ष में थे। इस पर बहुसंख्यक 77 फीसदी का मानना था कि सजा व जुर्माना दोनों होना चाहिए।