• Fri. Nov 22nd, 2024

उत्तराखंड – पहाड़ से पलायन की वजह जानने के लिए राज्य के 12 जिलों में सर्वे शुरू

Bynewsadmin

Jan 20, 2018

पलायन आयोग ने उत्तराखंड के 12 जनपदों में सर्वे शुरू कर दिया है। पलायन की वजहों पर आयोग अप्रैल माह में त्रिवेंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। इस आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने शुक्रवार को आईटी पार्क स्थित रेस्टोरेंट में यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि देहरादून को छोड़कर उत्तराखंड के बाकी बाहर जनपदों में पलायन आयोग वृहद सर्वे करा रहा है। इसके जरिये यह पता लगाया जाएगा कि किस जगह कितना पलायन हुआ है और उसके क्या कारण रहे। उन्होंने बताया कि पहाड़ से पलायन के बाद लोग सबसे ज्यादा कहां जाकर बस रहे हैं, इसका भी पता लगाया जाएगा। यह पूरी रिपोर्ट तैयार होने के बाद 15 अप्रैल तक सरकार को भेज दी जाएगी। इसके बाद पलायन आयोग इसे रोकने के  उपाय करेगा। डॉ. नेगी के अनुसार उत्तराखंड में पर्यटन, वन और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देकर पलायन रोका जा सकता है। इसके अलावा यहां नए उद्योग लगाकर भी पलायन को रोका जाएगा।

‘पहाड़ पर बैठकर पहाड़ की चिंता’ 

पलायन आयोग के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर डॉ. नेगी ने कहा कि पौड़ी जनपद में जल्द ही हमारे आयोग का कार्यालय शुरू हो जाएगा और इसके लिए स्टाफ भी रखेंगे। उन्होंने बताया कि वो राजधानी दून में पलायन आयोग का कैंप आफिस या कार्यालय नहीं चाहते। वो पहाड़ पर बैठकर पहाड़ के पलायन की चिंता करेंगे।

पौड़ी और अल्मोड़ा में पलायन चिंताजनक 

2011 की जनगणना के अनुसार पौड़ी और अल्मोड़ा में सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। दोनों जनपदों में जनसंख्या 2011 के मुकाबले घटी है। जबकि टिहरी में मामूली बढ़त दिखी है। इसी तरह बाकी जनपदों में जनसंख्या के आंकड़े पलायन के लिहाज से चिंताजनक हैं।

वर्ल्ड बैंक के सहयोग से चलाए जाएंगे प्रोजेक्ट 

पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. नेगी ने बताया कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए उत्तराखंड में वर्ल्ड बैंक के सहयोग से कुछ प्रोजेक्ट चलाए जाने हैं। इसे लेकर वर्ल्ड बैंक से मदद ली जाएगी। राज्य में ग्रीन रोड (कंडी मार्ग) के अलावा ईको टूरिज्म और जड़ी-बूटी की खेती को बढ़ावा देकर पलायन रोकने की भी योजना है। इसके लिए पतंजलि आयुर्वेद से भी बातचीत की जाएगी।

शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे बड़ी समस्या

डॉ. नेगी के अनुसार, राज्य में पलायन का सबसे बड़ा कारण पहाड़ों पर शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली है। वे मानते हैं कि राजधानी गैरसैंण करने की बजाय इसके लिए खर्च किया जाने वाला करीब 500 करोड़ का बजट अगर पहाड़ों पर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में लगाया जाए तो पहाड़ का विकास हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *