देश की लगातार बढती सैन्य शक्ति , सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की बहुरंगी छटा के साथ-साथ गणतंत्र दिवस परेड में दस आसियान देशों की संस्कृति और सभ्यता की मनोहारी छटा भी दिखायी दी। गणतंत्र दिवस समारोह की इस बार एक बड़ी विशेषता यह थी कि पहली बार मुख्य अतिथि के तौर पर दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष मौजूद थे। ये सभी सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ बैठे थे। आमतौर पर गणतंत्र दिवस समारोह में एक ही विदेशी मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है।
चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई इस भव्य परेड का मुख्य आकर्षण सीमा सुरक्षा बल की 113 जांबाज कमांडों के मोटरसाइकिल पर रोंगटे खड़े कर देने वाले और हैरतअंगेज कारनामे रहे। इसके अलावा भारत के स्कूली बच्चों द्वारा आसियान देशों की वेशभूषा में वहां के लोक नृत्यों की धूम, देश में ही बनाये जा रहे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और उस पर तैनात मॉरकोस कमांडो, पहली बार समारोह में शामिल हुए रूद्र लड़ाकू हेलिकॉप्टर तथा लड़ाकू विमानों की करतबाबाजी भी आकर्षण का केन्द्र रहे ।
सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में इंडिया गेट स्थित पवित्र अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों तथा तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के सवोर्च्च कमांंडर रामनाथ कोविंद का स्वागत किया। राष्ट्रपति के सलामी मंच पर 21 तोपों की सलामी लेने के बाद सुबह दस बजे विजय चौक से भव्य परेड आरंभ हुई जिसका लगभग डेढ घंटे बाद लाल किले पर समापन हुआ।
परेड के शुरू में वायु सेना के पांच एम आई-17 हेलिकॉप्टरों ने फ्लाईपास्ट किया और गुलाब की पंखुडियों की बरसात की। इन पर राष्ट्रीय ध्वज , तीनों सेनाओं के ध्वज तथा आसियान का ध्वज लहरा रहा था। इसके बाद परेड के कमांडर और दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल असित मिस्त्री तथा चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजपाल पूनिया की सलामी के साथ परेड का विधिवत आगाज किया। उनके पीछे खुली जीप में दो परमवीर चक्र तथा तीन अशोक चक्र विजेता खुली जीप में राजपथ से निकले। इसके बाद भारतीय सेना के जवान आसियान के ध्वज के साथ साथ सभी दस मेहमान आसियान देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के ध्वज लेकर राजपथ से गुजरे।