देहरादून : जिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रदेश के जनपदों को कुपोषण और जन्म लिंगानुपात से उबारने की जिम्मेदारी है, वो संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड के करीब 25 फीसद आंगनबाड़ी केंद्रों में ही पीने लायक पानी उपलब्ध है। यह चौंकाने वाली स्थिति महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी रिपोर्ट में सामने आई है। इसमें भी देश भर में सबसे बुरी स्थिति वाले राज्यों में उत्तराखंड दूसरे नंबर पर है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से देशभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में सर्वे कराया गया। इसमें विभिन्न राज्यों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल और शौचालय की स्थिति जांची गई। रिपोर्ट में मणिपुर में सबसे बुरी स्थिति पाई गई, जबकि दूसरी सबसे बुरी स्थिति उत्तराखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों की है।
मणिपुर में महज 21 फीसद आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल व्यवस्था ठीक पाई गई, जबकि उत्तराखंड में 24.04 फीसद केंद्रों पर पेयजल व्यवस्था ठीक मिली। रिपोर्ट की मानें तो उत्तराखंड में कुल 35 हजार 184 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें 24.4 फीसद यानि आठ हजार पांच सौ 84 केंद्रों में पेयजल व्यवस्था संतोषजनक पाई गई। जबकि, 26 हजार 600 केंद्रों में पेयजल व्यवस्था खराब है।
शौचालय की स्थिति बेहतर
उत्तराखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में संतोषजनक पाई गई। बुरी स्थिति में तेलंगाना 21.3, मणिपुर 27.05, झारखंड 27.5, आंध्र प्रदेश 38.7, जम्मू एवं कश्मीर 44.11, असम 47.5, उड़ीसा 52.64 फीसद के साथ क्रमश: सूची में शामिल हैं।
यह है स्थिति
रैंक—————प्रदेश———–केंद्रों में पीने योग्य पानी
1—————मणिपुर———————-21
2————–उत्तराखंड——————–24.04
3————-अरुणाचल प्रदेश————-28.51
4—————-कर्नाटक——————-38.76
5—————तेलंगाना——————-38.76
6————-जम्मू कश्मीर—————48.18
7—————-महाराष्ट्र——————53.47
(नोट: केंद्रों की स्थिति फीसद में)
आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्य
– शिशुओं को पोषाहार वितरित करना, ताकि शिशु कुपोषित , न हों।
– स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार वितरित करना।
– जन्म लिंगानुपात सुधारने के लिए लोगों को जागरूक करना। विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन।
– बच्चों को स्कूल जाने के तैयार करना।