गैरसैंण: 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के समक्ष खड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने को सरकार ने बजट में खास तवज्जो दी है। वर्ष 2018-19 के बजट में वन एवं पर्यावरण विभाग के लिए 808.55 करोड़ के बजट का प्रावधान इसे इंगित भी करता है। यही नहीं, जलवायु परिवर्तन के खतरों से जनसामान्य को आगाह करने के लिए सभी ब्लाकों में नेटवर्क तैयार कर लिया गया है।
यही नहीं, नमामि गंगे, ग्रीन इंडिया मिशन के तहत भी कई कार्य राज्य में होंगे। सबसे अहम यह कि जंगलों की आग से निपटने के लिए सिविल सोयम व पंचायती वनों के लिए बजट की व्यवस्था की गई है।
राज्य में पौधरोपण के लक्ष्य को ही देखें तो चालू वित्तीय वर्ष के लिए 18785 हेक्टेयर में 164.10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। दिसंबर तक इसके सापेक्ष 160.30 लाख पौधे रोपित किए जा चुके थे। जंगलों की आग से निजात पाने के मद्देनजर वर्षा जल संरक्षण को भी खास तवज्जो दी गई है। इसके तहत कैंपा योजना में 1171 जलकुंड, 3060 पिरुल चेकडैम और 1766 हेक्टेयर वन क्षेत्रों में 370860 कंटूर नालियों का निर्माण किया जाएगा।
साथ ही नमामि गंगे परियोजना में 256 हेक्टेयर क्षेत्र में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य और जायका परियोजना में चयनित वन पंचायतों में लगभग 3479 खाल-चाल, 1211 चेकडैम, 16 जल संगहण तालाब और राज्य सेक्टर में 129 विभिन्न जल संरक्षण स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है।
जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर गठित राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र ने क्लाइमेट डेवलपमेंट नॉलेज नेटवर्क और अन्य सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से सभी 95 विकासखंडों के लिए प्लान तैयार किया है। इससे जनसामान्य को जलवायु परिवर्तन के खतरों की जानकारी देने के साथ ही इससे निबटने के उपायों के बारे में जानकारी दी जा सकेगी।
वहीं राज्य में पारिस्थितिकीय पर्यटन के जरिये रोजगार के अवसर सृजित करने और राजस्व अर्जन की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए हैं। इको टूरिज्म, नेचर टूरिज्म, ग्रीन इंडिया मिशन, नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत कई कदम बढ़ाए गए हैं।