देहरादून: इधर विधानसभा सत्र बेमियादी स्थगित, उधर राज्य की 759 सहकारी समितियां प्रशासकों के सुपुर्द। जी हां, कार्यकाल पूरा कर चुकी सहकारी समितियों पर सरकार ने प्रशासक बैठा दिए हैं। प्रशासकों को छह महीने के भीतर समितियों के चुनाव कराने के आदेश दिए गए हैं।
राज्य की 759 सहकारी समितियों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इनका कार्यकाल बढ़ेगा या प्रशासक बैठाए जाएंगे, इसे लेकर असमंजस बना हुआ था। यह असमंजस तीन अप्रैल को हाईकोर्ट में एक सहकारी समिति की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद ही दूर होने के आसार जताए जा रहे थे, लेकिन विधानसभा सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद सरकार ने समितियों को प्रशासकों के हवाले करने में देर नहीं लगाई।
इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। निबंधक सहकारी समितियां बीएम मिश्रा ने आदेश जारी किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अधिकतर समितियों का कार्यकाल 23 मार्च को खत्म हो गया था। अब सब समितियों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। समितियों में प्रशासक के रूप में सहायक विकास अधिकारी सहकारिता, सुपरवाइजर और अपर जिला सहकारी अधिकारी को जिम्मा सौंपा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रशासकों को छह माह के भीतर सभी सहकारी समितियों के चुनाव कराने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि राज्य में बहुद्देश्यीय समितियों का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त होने के बावजूद इन समितियों के चुनाव का कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है। सहकारिता एक्ट के मुताबिक सहकारी समितियों का चुनाव कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा इसकी तिथि तक संपन्न करा लिए जाएं। ऐसा हो नहीं पाया है।
सरकार बहुद्देश्यीय समितियों (पूर्व नाम प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियां यानी पैक्स) के लिए बदली परिस्थितियों में निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) का परिसीमन भी नहीं कर पाई है। सहकारिता का ढांचा ऐसा है, जिसमें निचली समितियों से ही डेलीगेट चुनकर शीर्ष संघों तक जाते हैं।
बहुद्देश्यीय समितियों में उच्चीकरण होने के कारण इनके सदस्यों की संख्या 11 की गई है, लेकिन इसके अनुसार समितियों के वार्डों का निर्धारण नहीं हो पाया है। नगर निकायों के सीमा विस्तार के मद्देनजर कई समितियों का पुनर्गठन भी होना है। साथ ही आरक्षण तय होना अभी बाकी है। इस वजह से छह माह के भीतर चुनाव कराने की समय अवधि तय की गई है।