• Sat. Nov 23rd, 2024

राष्ट्रीय परियोजना लखवाड़-किसाऊ की उम्मीदों को लगे पंख

Bynewsadmin

Apr 11, 2018

देहरादून: बहुद्देश्यीय और राष्ट्रीय परियोजना लखवाड़ (300 मेगावाट) और किसाऊ (600 मेगावाट) को लेकर उम्मीदें परवान चढ़ी हैं। अपर यमुना रिवर बोर्ड की 15 फरवरी को दिल्ली में हुई बैठक का कार्यवृत्त जारी हो गया है। बोर्ड की ओर से एग्रीमेंट का मसौदा भी सभी लाभान्वित राज्यों को भेजा है और बैठक में बनी सहमति के आधार पर स्वीकृति मांगी है। इसके बाद एग्रीमेंट साइन किया जाएगा।

दरअसल, लखवाड़ व किसाऊ परियोजना से उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल को पानी मिलेगा। लखवाड़ से उत्पादित बिजली पर सिर्फ उत्तराखंड का अधिकार होगा, जबकि किसाऊ उत्तराखंड-हिमाचल की साझा परियोजना है। इससे पैदा होने वाली बिजली दोनों राज्यों में बंटेगी। दोनों परियोजनाओं में पेच ये है कि राजस्थान केंद्र से नहरों के निर्माण के लिए पैसा मांग रहा था।

इस मसले को सुलझाने के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में अपर यमुना रिवर बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसमें इन परियोजनाओं से लाभान्वित होने वाले छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था। इसमें निर्णय हुआ था कि 1994 में हुए एग्रीमेंट के अनुरूप ही पानी का बंटवारा होगा और नहरों के लिए कोई अतिरिक्त पैसा नहीं मिलेगा। अगर राजस्थान इस पर राजी नहीं है तो वह इस एग्रीमेंट से खुद को अलग कर सकता है। उसके हिस्से का पानी अन्य किसी राज्य को दे दिया जाएगा। उत्तराखंड भी पानी के लिए तैयार है। बता दें कि वाटर कंपोनेंट में 90 फीसद धनराशि केंद्र से मिलेगी और दस फीसद धनराशि लाभान्वित राज्य अपनी-अपनी हिस्सेदारी के अनुरूप खर्च करेंगे। वर्ष 1994 में राज्यों के बीच एग्रीमेंट तो हो गया था, लेकिन साइन नहीं हो सके थे।

किस राज्य को कितना पानी

राज्य————पानी (प्रतिशत में)

हरियाणा————47.82

दिल्ली—————-6.04

हिमाचल————–3.15

राजस्थान————-9.34

यूपी-उत्तराखंड——33.75

पावर कंपोनेंट के लिए अनुदान नहीं 

हिमाचल-उत्तराखंड की संयुक्त किसाऊ परियोजना पर कुल 7193 करोड़ रुपये (अनुमानित) खर्च होंगे। पावर कंपोनेंट पर हिमाचल और उत्तराखंड को ही पैसा खर्च करना होगा। लेकिन, दोनों राज्य केंद्र से वाटर कंपोनेंट की तरह इसमें भी अनुदान की मांग कर रहे थे। लेकिन, केंद्र सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अब रास्ता ये निकाला जा रहा है कि पावर कंपोनेंट के कुछ कार्य वाटर कंपोनेंट में शामिल किए जाएंगे। वाटर कंपोनेंट पर 4000 करोड़ और पावर कंपोनेंट पर 3200 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *