देहरादून: 74वें संविधान संशोधन की भावना के अनुरूप देश में सबसे पहले अपना नगर निकाय एक्ट लागू करने वाले मध्य प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड का निकाय एक्ट भी तैयार किया जाएगा।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार त्रिस्तरीय निकायों के लिए अपना एक्ट 15 अगस्त तक अस्तित्व में आ जाएगा। इसके लिए तेजी से कार्य चल रहा है। यदि मप्र के एक्ट को हूबहू अपनाया गया तो राज्य के नगर निगमों में ‘मेयर इन कौंसिल’ होगी तो नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में ‘प्रेसीडेंट इन कौंसिल’। साथ ही नगर निगमों में महापौर को अधिकार भी प्रदान किए जाएंगे।
उत्तराखंड में निकायों में चुनाव से लेकर अन्य गतिविधियों में उप्र के एक्ट से काम चलाया जा रहा है। हालांकि, पिछली सरकार ने निकाय एक्ट का मसौदा तैयार किया था, जिसमें कुछ विषय निकायों को स्वतंत्र रूप से देने की बात कही गई थी। लेकिन, बात इससे आगे नहीं बढ़ पाई। अब मौजूदा सरकार ने निकायों के सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने की पहल की है।
इस कड़ी में राज्य का नया निकाय एक्ट तैयार करने को अपर सचिव चंद्रेश कुमार यादव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। यह समिति देश के विभिन्न राज्यों के निकाय एक्ट का अध्ययन कर रही है। इसमें मध्य प्रदेश के निकाय एक्ट को सबसे उपयुक्त पाया गया है। अब इसी को आदर्श मानते हुए इसके अनुरूप एक्ट तैयार किया जाएगा।
मप्र के एक्ट के मुताबिक नगर निगमों में मेयर इन कौंसिल निगम की मुख्य समिति होती है, जिसमें महापौर पदेन अध्यक्ष और सदस्य संख्या 10 होती है। समिति की सहायता के लिए 10 विभागीय समितियां होती हैं। यही नहीं निगम में पार्षदों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से स्पीकर भी चुना जाता है।
इसी प्रकार नगर पालिका परिषदों में पालिका की समिति को प्रेसीडेंट इन कौंसिल कहा जाता है, जिसका अध्यक्ष नगर पालिका प्रमुख होता है और अध्यक्ष समेत सदस्य संख्या होती है आठ। वहीं नगर पंचायतों की समिति भी प्रेसीडेंट इन कौंसिल कहलाती है, जिसमें अध्यक्ष समेत छह सदस्य होते हैं। निकायों में मेयर इन कौंसिल और प्रेसीडेंट इन कौंसिल सशक्त होंगी।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक निकाय एक्ट का मसौदा तैयार करने को गठित समिति को मप्र के एक्ट का गहनता से अध्ययन कर इसके आधार पर मसौदा तैयार करने का कहा गया है। सरकार की कोशिश है कि राज्य का त्रिस्तरीय नगर निकाय एक्ट 15 अगस्त से पहले अस्तित्व में आ जाए।