देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में भाई के शव को कंधे पर ले जाने के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। चिकित्सा अधीक्षक के स्पष्टीकरण को अपर्याप्त मान उन्होंने महानिदेशक को एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सख्त ताकीद की है कि प्रदेश के किसी भी अस्पताल में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
धामपुर, बिजनौर निवासी पंकज अपने छोटे भाई को इलाज के लिए दून लाया था, जहा उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। चिकित्सकों के अनुसार उसके छोटे भाई सोनू को टीबी था और उसके फेफड़ों में संक्रमण था। सोनू की मौत के बाद शव को निजी एंबुलेंस में ले जाने के लिए पंकज के पास रुपये नहीं थे।
ऐसे में वह शव कंधे पर डालकर ले जाने लगा। वह सड़क तक पहुंचा ही था कि हॉस्पिटल स्टाफ ने उसे टोका। अस्पताल में इलाज के लिए आए कुछ किन्नरों व स्टाफ ने उसके लिए चंदा जुटाया। जिसके बाद वह अपने भाई का शव एंबुलेंस में धामपुर ले गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटना का संज्ञान लिया। उन्होंने घटना को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य सचिव नितेश झा से मामले की रिपोर्ट तलब की। जिस पर स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा से जवाब तलब किया। देर शाम स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सचिव ने मामले की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी। जिसमें कहा गया है कि मृतक के भाई ने चिकित्सा अधीक्षक या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति से संपर्क नहीं किया। यदि ऐसा किया जाता तो व्यवस्था कर दी जाती। इमरजेंसी स्टाफ ने उसे कुछ देर रुकने को कहा था ताकि स्ट्रेचर उपलब्ध करा दिया जाए। इस बीच वह शव पर कंधे पर रखकर निकल गया। अस्पताल के स्टाफ व अन्य की मदद से उसके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की गई।
उन्होंने बताया कि शव ले जाने के लिए रोगी एंबुलेंस का इस्तेमाल नहीं किया जाता। क्योंकि इससे अन्य रोगियों में संक्रमण का खतरा रहता है। मुख्यमंत्री ने इस स्पष्टीकरण को अपर्याप्त माना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवता व मानवीय संवेदना किसी भी परिस्थिति में सर्वोपरि होनी चाहिए। जिस तरह की घटना हुई वह किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। यदि व्यवस्था में कोई कमी है तो उसे तत्काल सुधारा जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक से एक सप्ताह में मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।