बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश की भूगोलिक व पर्यावरण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कॉफ़ी बोर्ड वाणिज्य एवं उधोग मंत्रालय के मंडल निदेशक डॉ विक्रम शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर युवाओं व किसानों को मुफ्त पौधे बांट कर एक नई शुरुआत की, जिसमे मोदी सरकार के किसान बागवान उत्थान कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है। यह पौधे उन्होंने बिलासपुर जिले के घुमारवीं उपमंडल में मरहाणा के निकट मझोटी गांव में वितरित किए।डॉ विक्रम ने बताया कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार गरीब किसान व मजदूरों के हितों के उत्थान के लिए पूर्णतः प्रतिवद्ध है जिसके चलते उन्होंने ने भी निर्णय लिया कि हिमाचल प्रदेश के किसानों व युवाओं को वाणिज्यिक खेती की राह पर लाकर भविष्य को स्वर्णिम बनाया जा सकता है।प्रथम चरण में कॉफ़ी के करीब 34000 पौधों का वितरण प्रदेश के बिभिन्न जिलों से आए किसान बागवान व युवाओं को मुफ्त में किया गया।
हिमाचल प्रदेश में अन्तराष्ट्रीय वाणिज्यिक खेती की शुरूआत
इस मौके पर डॉ विक्रम शर्मा ने किसानों व युवाओं को कॉफ़ी व अन्य वाणिज्यिक पौधों के उत्तपादन सम्वर्धन व वाणिज्यिक बाजार में कैसे बेचा जाए कि जानकारी सांझा की,जिसमे मुख्यतः पैदा होने के बाद बाजार की संभावनाओं का मुख्यतः जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश सरकार व किसान समूह मिलकर एक वाणिज्यिक वेबसाइट तैयार करते हैं जो अन्तराष्ट्रीय स्तर का गेटवे प्रयोग करते हुए उत्तपडकों के उत्त्पादों को अन्तराष्ट्रीय वैश्विक बाजार में उतार सके तो प्रदेश ही नहीं देश के किसान बाहरी देशों की तरह अपने उत्त्पादों को अच्छे दामों में बेच सकेंगे। डॉ विक्रम ने प्रथम कॉफ़ी उत्तपादन की नींव सन 1999 में अपने खेतों से शुरू की थी, डॉ शर्मा ने बताया कि जब वह कॉफ़ी का सबसे बड़ा उत्तपादक क्षेत्र देखने 1999 में चिकमंगलूर गए तो उन्होंने पाया कि उस क्ष्रेत्र का भूगोलिक व पर्यावरण अनुकूलता हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र से तकरीबन मिलती जुलती है। डॉ विक्रम ने 5 वेरायटीज के बीज़ अपने साथ लाकर इस नए शोध को अपने खेतों से शुरू किया, आज डॉ विक्रम बताते हैं कि कॉफ़ी बोर्ड भारत सरकार व उनके निजी अनुभव बताते हैं कि इस क्षेत्र में कॉफ़ी जैसी अन्तराष्ट्रीय वाणिज्यिक फसल की अपार संभावनाएं हैं,जिनके लिए सामूहिक प्रयास करना जरूरी है ताकि किसान बागवान व युवाओं को आर्थिक स्वावलम्बन की राह पर लाया जा सके।
डॉ विक्रम ने बताया कि वितरण समारोह में करीब 150 लोगों ने भाग लिया तथा उसके बाद अगले दिन भी करीब 120 लोगों ने उनके घर जाकर कॉफ़ी के पौधे मुफ्त प्राप्त किए। डॉ विक्रम ने बताया कि इससे पहले उन्होंने कांगड़ा के चंगर क्षेत्र में भी किसानों को उनके क्षेत्र में जाकर पौधे खुद उपलव्ध करवाए हैं। डॉ विक्रम शर्मा ने कहा कि चंगर क्षेत्र कांगड़ा जिले का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है तथा पिछड़ा होने के बावजूद वही क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है परन्तु कई कारणों से यह क्षेत्र पिछड़ा बना हुआ है तथा उस क्षेत्र के युवाओं को रोज़ी रोटी के लिए डर वदर की ठोकरें खानी पड़ती हैं जो आज एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है। डॉ विक्रम ने हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना,बिलासपुर,हमीरपुर ,सोलन,सिरमौर व कांगड़ा पर चर्चा करते हुए कहा कि ये क्षेत्र शीतोष्ण व समशीतोष्ण परिवेश में आता है तथा भूगोलिक आधार पर भी पूरे उत्तरीभारत में सबसे बढ़िया क्षेत्रों में आता है परन्तु इस क्षेत्र पर वाणिज्यिक फसलों के शोध व सम्वर्धन पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया जो एक चिंता का विषय है। डॉ विक्रम ने बताया कि अभी उनके पास करीब 16000 पौधे कॉफ़ी के और पड़े हैं जिन्हें जल्द ही एक वाणिज्यिक कृषि शैक्षणिक कार्यक्रम के तहत प्रदेश के लोगों को मुफ्त बांटे जाएंगे। डॉ विक्रम ने कहा कि उन्होंने प्रदेश सरकार से भी आग्रह किया है कि अन्तराष्ट्रीय स्तर की वाणिज्यिक फसलों से हिमाचल प्रदेश के किसानों को रूबरू करवाया जाए तथा इस पर कृषि विभाग, बागवानी बिभाग के साथ प्रदेश में कार्यरत विश्वविद्यालय एक साथ मिलकर शोध व प्रसार करें ,विश्व बाजार की मांग को देखते हुए फलों व ओषधीय पौधों का वाणिज्यिक उत्तपादन करवाएं। डॉ शर्मा ने अन्य वाणिज्यिक फसलों पर चर्चा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय स्तर के फल जिनमे एवोकैडो, पिस्ता, अंजीर, रेड ग्लोब अंगूर, दालचीनी व कॉफ़ी की बहुत अच्छी सम्भावबनाएँ हैं जिनका जल्द से जल्द उत्तपादन सरकार को किसानों से शुरू करवॉना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी को आर्थिक स्वावलम्बी बना कर नशे जैसी समाजिक बीमारियों से दूर किया जा सके। डॉ विक्रम ने हिमाचल प्रदेश में कार्यरत भारत सरकार के उपक्रमों से भी हिमालयन क्षेत्र के विकास में सहायता करने की गुहार लगाई ताकि सामूहिक रूप से किसानों बागवानों व युवाओं को आर्थिक सुदृढ़ किया जा सके तथा प्रदेश से हो रहे पलायन को रोका जा सके।