• Sun. Dec 14th, 2025

हिमाचल के उपायुक्तों ने किया गुरुकुल कुरुक्षेत्र के कृषि फार्म का दौरा

Byjanadmin

Sep 28, 2018


प्राकृतिक कृषि मॉडल से हुए प्रभावित, जिला स्तर पर करेंगे लागू
पहली बार हिमाचल के जिला उपायुक्तों, विश्वविद्यालयों के कुलपति पहुंचे गुरुकुल, कृषि फार्म पर फसलों को देखा और जीरो बजट प्राकृतिक कृषि पद्धति को समझा
हिमाचल प्रदेश के उपायुक्तों ने संयुक्त रूप से आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र के कृषि फार्म का दौरा किया। यह पहला मौका है, जब प्रदेश के उपायुक्तों ने किसी मॉडल की तकनीक को जानने के लिए संयुक्त रूप से प्रदेश के बाहर का दौरा किया हो। राज्यपाल आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में उपायुक्तों ने प्राकृतिक कृषि की बारीकियों को जाना और 180 एकड़ के कृषि फार्म में व्यवहारिक रूप से लागू इस पद्धति को देखा। हिमाचल के कुल्ल, लाहौल-स्पिती और कांगड़ा जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों के उपायुक्तों सहित सभी अधिकारियों ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ पूरे गुरुकुल फार्म का अवलोकन किया और यह माना कि आचार्य देवव्रत गुरुकुल के कृषि फार्म के बारे में जो मंचों के माध्यम से कहते है, वास्तव में यहाँ उस पर अमल हुआ है। वास्तव में गुरुकुल का कृषि फार्म जीरो बजट प्राकृतिक कृषि का एक अनुपम उदाहरण है। जिला उपायुक्तों ने कहा कि वे जीरो बजट प्राकृतिक कृषि मॉडल को जहाँ संभव होगा, लागू करवाने का प्रयास करेंगे।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक कृषि ही एक ऐसा विकल्प है जो देश के किसानों को न केवल आर्थिक रूप से सबल बना सकता बल्कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी आदर्श बन सकती है। जीरो बजट प्राकृतिक कृषि को देश के किसान बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं और बहुत जल्द ही पूरे देश में जीरो बजट प्राकृतिक कृषि को अपनाया जाएगा। अधिकारियों ने गुरुकुल के फार्म पर गन्ना, धान व सब्जियों की फसलों का अवलोकन किया। इससे पूर्व सभी अतिथियों ने गुरुकुल के विभिन्न प्रकल्पों का भी भ्रमण किया और गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा प्रस्तुत मल्लखम्भ, योगासन आदि का लुत्फ उठाया।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज रासायनिक खेती ने किसान को बर्बाद कर दिया है। इससे न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि यूरिया व पेस्टीसाइड, डीएपी के प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ-साथ किसान के खेतों में मौजूद मित्र जीव भी समाप्त हो गये हैं, जिस कारण पर्यावरण में असंन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। साथ ही किसान आर्थिक रूप से पिछड़ता जा रहा है। अब किसानां के पास अपनी आर्थिक व सामाजिक दशा सुधारने का जीरो बजट प्राकृतिक कृषि ही एकमात्र उपाय है।
उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के पालमपुर में प्राकृतिक कृषि के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण शिविर में पद्मश्री डॉ. सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि की बारीकियां से अवगत कराएंगे। इसके पश्चात शिमला में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय नस्ल की गाय की खरीद पर अनुदान देने की भी योजना प्रस्तावित है।
इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल, गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, विश्व विख्यात पहलवान गीता फौगाट व बबीता फौगाट के गुरु एवं पिता द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता महावीर फौगाट, डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, हरियाणा युवा शक्ति सेना के प्रधान सम्पूर्ण सिंह, सह-प्राचार्य शमशेर सिंह, कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम, डॉ. सहारण सहित भारी संख्या में कृषि विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *