हिमाचल के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रत्युष गुलेरी को सम्मानित करते लेखक संघ के पदाधिकारी
प्रदेश भर से आये कवियों ने किया श्रोताओं को आनंदित
सुमन डोगरा, बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश के जाने माने साहित्यकार तथा राजनीतिज्ञ स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी की जयंती के अवसर पर प्रदेश भाषा एवं संस्कृति अकादमी द्वारा राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन बिलासपुर में किया गया । जिसमें प्रदेशभर से आए कवियों ने अपनी कविताएं सुनाकर श्रोताओं को आनंदित किया । इन कविताओं में जहां आतंक के खिलाफ आग उगली गई वही प्रेम रस और हास्य व्यंग भी काफी चर्चित रहा। नादौन से आये मनीष तन्हा की पंक्तियां थी दगा देने पर आई जिंदगी तन्हा किसे बोलूं चुरा के हाथ से देखो लिए दिन चार जाती है। कांगड़ा से पधारे डॉ प्रत्यूष गुलेरी ने कहा शब्द बेशर्मी से उतर रहे हैं। बिलासपुर की प्रतिभा शर्मा ने कहा थिंजु लोगां बाली सेह मन्न या कि कुल्लू थी साढे बी बलासपुरा चक लेंदी नार एह। सेवा निवृत संयुक्त निदेशक सुशील पुंडीर ने अभिनंदन की वापसी को लेकर बेहतर कविता सुनाई वहीं मीना चंदेल ने कहा आपके हुसन का कोई सानी नहीं आप बस सादगी में रहा कीजिए। हरिकिशन मुरारी का कहना था दिल गंलादा उड़ी के पूजा पर फंग कुतू ते लयोने मित्रा। पालमपुर से आयेे शक्ति
चंद राणा ने बहुत ही बेहतरीन गजल सुनाई उन्होंने कहा महबूब गजल मेरी आ तुझे सजाऊ मैं खूने जिगर से लिए कुछ शेयर सुनाऊं में । ऊना की डेजी शर्मा ने कहा या मान लो या ठान लो सुनिधि शर्मा का कहना था धर्म की यह धरा भारत शौर्य बलिदान की भूमि सुर वीरों के बंशानू रक्त संचरण करते हैं। रविंद्र शर्मा ने सुनाया कि एक आदमी ने खरीदा नया टच स्क्रीन फोन बैंक से लेकर दस हजार लोन। रूप शर्मा ने कहा पहाड़ी दा शृंगार पहादी दा रचनाकार लुप्त होइ गया। राणा शमशेर सिंह का कहना था कभी उड़ी कभी पठानकोट कभी पुलवामा है तेरी शैतानी फितरत के सबूत किरण गुलेरिया ने अपनी गजल में कहा कागज की कश्तीओं से दिल मेरा भरा रहा वह लूटते रहे दिल मेरा भरा रहा। हरिप्रिया मैं अपनी कविता में कहा ए एवे हुई गईआं भरोसे रिया लीरा लीरा मन फेरी भी नी मंनदा। कर्नल जसवंत सिंह चंदेल ने फरमाया फौजना री हिम्मत भी जसवंत देश से रे कमा च हिम्मत बटांदी ताई लड़दा फौजी बॉर्डर पर। रुपेश्वरी शर्मा ने कहा कैसे खिलेगी सरसों कैसे उगे कोपलें कैसे आए वसंत हां ठिठका है कुछ पल जब देखे तिरंगे में लिपटे रणबांकुरे। विनोद भावुक ने फरमाया क्या लिखया कजो लिखिया अर्था ता समझाए कुण कांगड़ीया च मैं लिखदा मेरे गीतां गाये कुण। इस के अलावा अन्य कई कवियों ने अपनी रचनाये पढ़ी। जिला लेखक संघ ने सभी कवियों का पटका , हिमाचली टोपी व एक पुस्तक देकर सम्मान किया।