ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर युवाओं को रक्त दान करने हेतु प्रोत्साहित करते हुये कहा कि रक्तदान महादान है। जीते जी रक्तदान और जाते-जाते नेत्रदान व अंग दान अवश्य करें इससेे कई जिदंगियों को बचाया जा सकता है तथा अनेकों का जीवन रौशन हो सकता है। रक्तदान करके हम कई जिदंगियाँ बचा सकते हैं। यह समय मानवता के प्रति संवेदनशील होने का है क्योंकि अगर कोई व्यक्ति एक यूनिट रक्त का दान करता है तो चार लोगों की जिन्दगियों केा बचाया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि स्वयं के जीवन को स्वस्थ रखने के लिये योग और ध्यान का आश्रय लें। अपने लिये योगी और समाज के लिये उपयोगी और सहयोगी बनें और रक्त दान अवश्य करते रहें। रक्तदान से दूसरों के जीवन को बचाया जा सकता है, साथ ही स्वयं भी स्वस्थ रह सकते हंै।
शोध के आधार पर रक्तदान से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है, खून में कोलेस्ट्राॅल जमा नहीं होता है और रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है। रक्त दान-महादान है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दान वही है जो मानवीय सहायता हेतु बिना किसी लाभ के, उपहार के रूप में दिया जाता है। कोविड – 19 महामारी के इस दौर में ‘व्यक्तिगत स्तर पर रक्त दाताओं’ की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैै।
अक्सर देखा गया है कि गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को रक्त की कमी का सामना करना पड़ता है। ‘थैलेसीमिया’ के रोगियों को इस समय रक्त के लिये अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ऐसे रोगियों को जीवित रहने के लिये बार-बार रक्त बदलने की आवश्यकता होती है ऐसे में किसी को जीवन प्रदान करने के लिये निस्वार्थ भावना से दिये गये रक्त से किसी की जिन्दगी बचायी जा सकती है। आईये स्वेच्छा से रक्त दान का संकल्प लें।” अनुमानित आकंड़ों के अनुसार भारत में हर साल लगभग 1.20 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन रक्तदाताओं से केवल 90 लाख यूनिट ही रक्त एकत्रित हो पाता है इसलियेे रक्तदान हेतु जनसमुदाय को व्यापक स्तर पर जागरूक करना होगा। 14 जून को दुनियाभर में विश्व रक्तदाता दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2004 में शुरू किये गए इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि जनसमुदाय को रक्तदान हेतु जागरूक करना ताकि सुरक्षित और स्वैच्छिक रक्तदान हो सके।