देहरादून: संजय आर्थोपीडिक स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर एवं सेवा सोसाइटी ने विकृति और विकलांगता के ऊपर एक वेबिनार का आयोजन किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकलांगता के कई रूप हैं। जैसे कि शरीर के किसी भाग का न होना या फिर उसको चलने में मुश्किल पैदा करना और समाज में हर ढंग से घुल-मिल न पाना। 2018 में भारत सरकार के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में पूरी जनसंख्या के लगभग 2.1 प्रतिशत लोग विकलांग हैं जिसमें से लगभग 20.3 प्रतिशत को चलने-फिरने की विकलांगता है। इंडिया बुक रिकाॅर्ड होल्डर आर्थोपीडिक सर्जन डाॅ गौरव संजय ने वेबिनार के दौरान बताया कि किसी भी तरह की विकलांगता चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक यह व्यक्ति के लिए रोजमर्रे की जिंदगी में बहुत सी मुश्किलें पैदा करती है। सभी दिव्यांग लोगों की एक सी ही शारीरिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य आवश्यकताएं होती हैं जैसे कि एक सक्षम व्यक्ति की। विकलांगता केवल स्वास्थ्य समस्या ही नहीं है बल्कि एक जटिल समस्या है। विकलांग व्यक्ति को भी इस जीवन में हर तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिस समाज के साथ वह रहता है।
बच्चों में पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी, क्लब फुट विकलांगता के मुख्य कारण हैं। हालांकि मार्च 2014 से अपना देश पोलियो मुक्त हो गया है जिससे पोलियो के नए मरीज तो देखने को नही मिलते लेकिन लाखों पुराने मरीज आज भी देश की एक ज्वलनशील स्वास्थ्य, आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है। किसी भी तरह के टेढेपन को कुछ हद तक कसरत, आर्थोसिस, कृत्रिम जूते एवं आपरेशन से ठीक किया जा सकता है। डाॅ गौरव संजय ने बताया कि आपरेशन से इन दिव्यांग लोगों के जीवन में बहुत बदलाव लाया जा सकता है और फिर यह लोग भी समाज एवं देश के उन्नति में एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह सक्रिय रूप से भागीदार हो सकते हैं। डाॅ गौरव संजय ने वेबिनार के दौरान जोर दिया कि हर तरह के टेढ़ेपन को जल्दी से जल्दी दूर किया जाना चाहिए और यदि सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है तो उसे जल्दी कराना चाहिए। मेरा मानना है पौधे सीधे किए जाते हैं पेड़ नहीं। वेबिनार के दौरान पùश्री से सम्मानित आर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डाॅ. बी. के. एस संजय ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं ने अपने देश में एक महामारी का रूप धारण कर लिया है जिसने समाज के एक बहुत बड़े हिस्से को विकलांग बना दिया है। उन्होंने कहा अपने देश में हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाऐं होते हैं जिनमें एक चैथाई लोगों की मौत हो जाती है और लगभग एक चैथाई लोग ही अच्छे इलाज के बावजूद विकलांग हो जाते हैं। आजकल सड़क दुर्घटनाऐं जानलेवा होती हैं जिससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं हो पाते हैं या यों कहिए चोट लगने से पहले की स्थिति में नहीं आ पाते हैं। डाॅ. बी. के. एस संजय ने बताया कि आज से लगभग 40 साल पहले सड़क दुर्घटनाओं के बाद हाथ-पैर कटना एक आम बात थी, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में उन्नति के कारण सड़क दुर्घटनाओं के कारण हाथ-पैर तो नहीं कट रहे हैं लेकिन डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान तथा धमनियों के संकरे होने के कारण पैर कटने की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। यदि हम सब लोग स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील एवं जागरूक होते हैं तो जीवनशैली में आए हुए बदलावों के कारण होने वाली बमिारियों से बच सकते हैं। हमारी संस्था समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रमों तथा मास मीडिया के माध्यम से लोगों को डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, सड़क दुर्घटनाओं, विकलांगता, धूम्रपान एवं मदिरापान जैसी अन्य बीमारियों के दुष्परिणामों के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम करते रहते हैं और यह वेबिनार भी इसी कार्यक्रम की एक कड़ी है।