• Mon. Feb 24th, 2025

दून अस्पताल में चार माह के बच्चे का मोतियाबिंद का लेंस प्रत्यारोपण के साथ सफल ऑपरेशन किया गया

Bynewsadmin

Sep 20, 2024

देहरादून। दून अस्पताल में पहली बार चार माह के बच्चे का मोतियाबिंद का लेंस प्रत्यारोपण के साथ सफल ऑपरेशन किया गया। बच्चे की दोनों आंखों में जन्म से ही सफेद मोतियाबंद था। रुड़की के अलावा और एम्स (लंबी तारिख) जैसे अस्पताल में भी जब परिजनों को मायूसी मिली तो वे बच्चे को लेकर दून अस्पताल पहुंचे, यहां बच्चे की सफल सर्जरी की गई। ऑपरेशन के बाद बच्चा टॉर्च की लाइट को देखकर खुश हो रहा है।
यूनिट 2  नेत्र रोग विभाग की टीम ने बताया कि रुड़की में रहने वाला अब्दुल्ला चार महीने का है। उसके पिता मारूफ ने प्राइवेट में इलाज में पैसे की कमी के कारण असुविधा जाताई।
उसके परिजनों ने चिकित्सकों को बताया कि अब्दुल्ला जब दो महीने का था तो उन्हें महसूस हुआ कि अब्दुल्ला किसी भी वस्तु को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। चिंतित परिजनों ने शुरुआत में रुड़की में ही डॉक्टरों को दिखाया, तो जांच में पता चला कि अब्दुल्ला को सफेद मोतियाबिंद है। प्राइवेट हॉस्पिटल में  खर्चा लगभग 80000 ₹ बताया गया तो उन्होंने असमर्थता जाताई। इसके बाद परिजन उसे लेकर एम्स ऋषिकेश पहुंचे, यहां भी सफेद मोतियाबिंद होने की बात कही गई। जहां लंबी तारिख मिलने पर परिजन उसे लेकर दून अस्पताल आए।  यहां अब्दुल्लाह ेवद व िमारूफ का त्ठैज्ञ (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) से मुफ्त में ऑपरेशन के लिए पंजीकरण कराया गया। यहां गुरुवार को अब्दुल्ला की लेंस प्रत्यारोपण के साथ पहला सफल ऑपरेशन हुआ द्य ज्यादातर बंेमश्े में समदे प्रत्यारोपण के लिए उमर बढ़ने पर सर्जरी की जाती है।ऑपरेशन के समय व्हाइट जव व्हाइट कपंउमजमत ठीक होने पर सिटिंग में लेंस प्रत्यारोपण किया गया।
यूनिट 2 की टीम से मिली जानकारी के अनुसार ने बताया कि सर्जरी के अगले दिन जब अब्दुल्ला की पट्टी खोलकर उसको टॉर्च की लाइट दिखाई गई तो उसे देखकर उसने प्रतिक्रिया दी। पिता मारूफ ंदक उसकी माता खुशी से रोने लगी द्य सभी डॉक्टर का दिल से आभार जताया।
उन्होंने बताया कि अभी अब्दुल्ला को निगरानी में रखा गया है। यूनिट 2 नेत्र रोग विभाग  की टीम में प्रोफेसर डॉ. सुशील ओझा,  असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दुष्यंत उपाध्याय, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीरज सारस्वत,डॉ. अनंता रैना, डॉ. गौरव कुमार, डॉ. ईशान सिंह, डॉक्टर सुमन, विजयलक्ष्मी, शैलेश का योगदान रहा। डॉक्टर निधि गुप्ता, डॉक्टर विपाशा मित्तल ने सहयोग किया . इतनी कम उम्र में करवाया। निदेशक प्रोफेसर( डॉक्टर) आशुतोष सयाना, प्राचार्य प्रोफेसर गीता जैन व प्रोफेसर शांति पांडेय डै प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल, धनंजय ने टीम को बधाई दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *