नौणी विश्वविद्यालय की सिनेट की 15वीं बैठक
जनवक्ता ब्यूरो शिमला
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने डॉ. यशवन्त सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी की सिनेट की 15वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती पर सघन अनुसंधान करने के निर्देश दिए
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों का एहसास होना चाहिए और जीरो बजट प्राकृतिक खेती में योगदान देना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में गहन अनुसंधान करने का आग्रह किया तथा प्रदेश सरकार के प्राकृतिक खेती मिशन में सहयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय अनुसंधान परिषद के महानिदेशक ने आश्वस्त किया है कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती से संबंधित परियोजनाएं स्वीकृत की जाएगी। परिषद ने यह भी आश्वासन दिया है कि प्राकृतिक खेती पर शोधकार्य किया जाएगा।राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास वैज्ञानिकों की सहायता के बिना संभव नहीं है। प्राकृतिक खेती अपनाते समय वैज्ञानिकों को और अधिक कार्य तथा भारतीय बीजों को तैयार करने, जैविक कार्बन विश्लेषण तथा मित्रजीव और लाभप्रद कीटों पर अनुसंधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने रासायनिक व जैविक खेती के परिणाम देखे हैं और अब हमारे पास प्राकृतिक खेती का विकल्प है जो व्यवहारिक है और इससे बहेतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान डाटा उपलब्ध करवाकर सिद्ध कर दिया है कि प्राकृतिक खेती ही श्रेष्ठ है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गत एक वर्ष के दौरान इस दिशा में की गई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया तथा इस दिशा में और अधिक प्रयास करने के निर्देश दिए। विधायक सुरेश कुमार कश्यप ने भी इस अवसर पर बहुमूल्य सुझाव दिए। विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. एच.सी. शर्मा ने राज्यपाल को प्राकृतिक खेती की प्रगति व विश्वविद्यालय की अन्य गतिविधियों पर विस्तृत जानकारी दी। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजेश मारिया ने कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर सरकारी तथा गैर सरकारी सदस्य उपस्थित थे। इससे पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित जीरो बजट प्राकृतिक खेती मॉडल फॉर्म का भी दौरा किया। उन्होंने कुल्लू ज़िला के किसानों जो प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं से भी वार्तालाप किया। उन्होंने फल के पौधों पर जीरो बजट प्राकृतिक खेती मॉडल का भी शुभारम्भ किया