पुरानी पैंशन की बहाली और डीसीआरजी का लाभ सभी पीड़ित कर्मचारियों को मिले
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
नई पैंशन नीति के तहत कार्यरत कर्मचारियों का छः सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि प्रदेश के 80 हजार कर्मचारी जिनकी नियुक्ति 15.5.2003 के बाद हुई है] उनको पुरानी पैंशन से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसीलिए कर्मचारी संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई पैंशन प्रणाली कर्मचारियों के बुढ़ापे के साथ एक धोखा है। इससे कर्मचारियों के बुढ़ापे का जीवन निर्वहन सही तरीके से नहीं हो रहा है । संघ के सदस्यों ने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार तथा अन्य राज्य सरकार ने जो एनपीएस के तहत लाभ अपने कर्मचारियों को दे रही हैं लेकिन हिमाचल सरकार अभी भी उन लाभों को देने में आनाकानी कर रही है। उन्होंने बताया कि इन लाभों में यदि सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह दिव्यांग हो जाता है तो उसे उसके परिवार को पुरानी पेंशन के लाभ मिलने का प्रावधान किया गया है । उन्होंने बताया कि ग्रैच्युटी के लाभ देने के लिए हिमाचल सरकार ने जो अधिसूचना 18 सितंबर 2017 को जारी की है उसमें भी कई कमियां हैं । जैसे कि जो लोग 15 मई 2003 से लेकर 18 सितंबर 2017 के बीच में सेवानिवृत्त हुए हैं उन्हें डीसीआरजी के लाभ से वंचित कर दिया है। संघ के सदस्यों ने राज्यपाल महोदय से आग्रह किया कि यह कर्मचारियों के साथ भेदभाव है और इस 18 सितंबर की अधिसूचना को पीड़ित कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को देखते हुए अविलंब संशोधित किया जाए। राज्यपाल महोदय ने संघ के सदस्यों की मांगों को बड़े ध्यानपूर्वक सुना और सरकार को इस बारे आवगत कराने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में एलडी चौहाऩ, जावेद इकबाल, शशिपाल शर्मा, संदीप हरनोट, हितेन्द्र हिमराल व डॉ0 बलदेव सिंह नेगी शामिल थे।
