
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
गोबिन्द सागर घाट सुधार सभा के प्रधान रामसिंह और महासचिव विजेंद्र चंदेल ने कहा है कि पिछले कोई 50 वर्षों से अधिक समय से अब तक प्रदेश में रही सभी सरकारों और नेताओं ने विभिन्न बहानों से गोबिन्द सागर पर लूहणु से बैरी दाड़ोला के लिए 13 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा शिलान्यासित पुल के निर्माण को लटकाया जाता रहा है और चुनावों के समय क्षेत्र के लोगों को इस पुल के बहाने वोट प्राप्त करने का साधन बनाया जाता रहा है जब कि इस पुल के निर्माण पर अब तक कोई 40 लाख रूपये की राशि भी व्यय की जा चुकी है । इन दोनों नेताओं ने हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस पुल के निर्माण को तुरंत आरंभ करने के लोक निर्माण विभाग को सख्त आदेश दिये जाएँ ताकि शीघ्र अतिशीघ्र यह पुल निर्मित होकर सदर और झंडूता विधान सभा क्षेत्रों को जोड़ कर बिलासपुर की आधी आबादी को इसका सीधा लाभ मिल सके । उन्होने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इस पुल के नाम पर वोट लेकर सत्ता प्राप्त करने का यह खेल बंद नहीं हुआ और पुल का निर्माण और अधिक देर तक लटकाए रखा तो शीघ्र ही झंडूता क्षेत्र की संलग्न पंचायतों के ग्रामीणों की एक बड़ी संघर्ष समिति का निर्माण करके बहुत बड़ा आंदोलन आरंभ किया जाएगा ,जिसका सारा उत्तरदाईत्व सरकार और विभाग पर होगा । उन्होने कहा कि अब पुल के नाम पर वोट लेने की राजनीति पर अंकुश लगाया जाएगा और लोगों को झांसों के बल पर ठगने का सिलसिला पूरी तरह से बंद किया जाएगा । रामसिंह ने कहा कि बीबीएमबी से मिलने वाले धन को सरकारें आज तक बिलासपुर के उत्थान पर खर्च करने की बजाए अन्यत्र खर्च करती चली आ रही हैं और बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापितों , फोरलेन विस्थापितों , कोल डैम विस्थापितों तथा ए सी सी विस्थापितों की मांगों ,कठिनाईयों और समस्याओं की ओर कोई ध्यान न देकर उनसे धोखा किया जा रहा है , जिस ओर सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए जबकि एम्स , हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज , कलोल की आई टी आई , नगर की सीवरेज प्रणाली आदि कार्यों पर तुरंत ध्यान देकर इन सभी संस्थानों और योजनाओं पर अमल करके को लोगों के प्रयोग के लिए शीघ्र चालू किया जाना चाहिए ।