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लूहणु – बैरी दड़ोला पुल निर्माण संघर्ष समिति का हुआ गठन

Byjanadmin

Jul 8, 2019

कंसैप्ट चित्र

निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ नहीं किया तो होगा संघर्ष – पुल निर्माण संघर्ष समिति

जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
बिलासपुर नगर के साथ 13 वर्ष पूर्व गोबिन्द सागर पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा शिलान्यासित लूहणु – बैरी दड़ोला पुल निर्माण को लेकर गोबिन्द सागर घाट सुधार सभा के नेत्रत्व में संघर्ष समिति का निर्माण किया गया ,जिसके अध्यक्ष और सचिव क्रमश समिति के प्रधान रामसिंह और महासचिव विजेंद्र चंदेल ही होंगे जब कि सुखदेव चंदेल, सीता राम शर्मा रणवीर सिंह चंदेल, दया राम, राजेन्द्र सोनी , रोशन लाल , अछरू राम , प्रेमलाल ,रमेश शर्मा,रणजीत सिंह चंदेल , नंदलाल , होशियार सिंह , मास्टर रूप लाल , मलकीयत सिंह , कुलदीप , सुखदेव , प्रेमसिंह , सीताराम शास्त्री , करतार सिंह , रामकृष्ण और संतोख सिंह पर आधारित 21 सदसीय कार्यकारिणी का गठन किया गया है समिति ने निर्णय लिया कि यदि सरकार ने इस पुल का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ नहीं किया गया तो संघर्ष का बिगुल बजाया जाएगा जिसका सारा उत्तरदाईत्व हिमाचल सरकार और संबन्धित विभाग पर होगा । संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामसिंह और सचिव विजेंद्र चंदेल ने कहा है कि पिछले कोई 50 वर्षों से अधिक समय से अब तक प्रदेश में रही सभी सरकारों और नेताओं द्वारा गोबिन्द सागर पर बनाने वाले लूहणु – बैरी दड़ोला पुल निर्माण को विभिन्न बहानों से लटकाया जाता रहा है और हर बार चुनावों के समय पर क्षेत्र के लोगों से वोट प्राप्त करने का साधन बनाया जाता रहा है जब कि अब तक इस पुल के निर्माण पर कोई 40 लाख रूपये की राशि भी व्यय की जा चुकी है । संघर्ष समिति ने हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस पुल के निर्माण को तुरंत आरंभ करने के लोक निर्माण विभाग को सख्त आदेश दिये जाएँ ताकि शीघ्र अतिशीघ्र यह पुल निर्मित होकर सदर और झंडूता विधान सभा क्षेत्रों को जोड़ कर बिलासपुर की आधी आबादी को इसका सीधा लाभ मिल सके। उन्होने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इस पुल के नाम पर वोट लेकर सत्ता पाने और लोगों को ठगने का सिलसिला बंद नहीं हुआ और इस पुल का निर्माण और अधिक देर तक लटकाए रखा तो संलग्न क्षेत्रों बैहनाजट्टा , बैरी दड़ोला , लधेड़ा , सोपता , सीरू , बरवाड़ , सालासी , ऋषिकेश , कोठी , कल्लर , बरसंड, गुलानी , तन्यूर , बड़ी राहार , मौहतर , डमली , बड़ोल धार और गेहड़वीं आदि क्षेत्रों के ग्रामीण बहुत बड़ा आंदोलन शुरू करने को विवश होंगे , जिसका सारा उत्तरदाईत्व सरकार और विभाग पर होगा रामसिंह ने कहा कि बीबीएमबी से मिलने वाले धन को सरकारें आज तक बिलासपुर के उत्थान पर खर्च न करके अन्यत्र खर्च करती चली आ रही हैं और बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापितों , फोरलेन विस्थापितों , कोल डैम विस्थापितों तथा ए सी सी विस्थापितों की मांगों ,कठिनाईयों और समस्याओं की ओर कोई ध्यान न देकर उनसे धोखा किया जा रहा है , जिस ओर सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए जबकि एम्स , हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज , कलोल की आई टी आई, नगर की सीवरेज प्रणाली आदि कार्यों पर तुरंत ध्यान देकर इन सभी संस्थानों और योजनाओं पर अमल करके को लोगों के प्रयोग के लिए शीघ्र चालू किया जाना चाहिए ।

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