जनवक्ता ब्यूरो बिलासपुर
व्यास पूर्णिमा एवं रंगनाथ महोत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या भजन गायक भाईयों मास्टर प्रिंस व हिमांशू के नाम रही। उन्होनंे एक से बढकर एक भजनों से उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होनंे संघ्या की शुरूआत गणेश वंदना से की। उसके बाद उन्होंने शिव कैलाशों के वासी, कुछ पाने के खातिर, मेरे दिल विच गुरू दा, रोम रोम विच वास मईया दा, दम गुटकूं, ये देश है वीर जवानों का, मेला मईया दा, मेले जाना कालका दे व खेल गिटियां दियां खेला भजन गा कर श्रेताओं को घूम झूमाया। इससे पूर्ण दीपक घई व अभिषेक व रोहित की जोडी ने भी एक से एक बढिया भजन सुनाए।
दूसरी संघ्या में बतौर मुख्यतिथि पूर्व जिला परिषद सदस्य नीना कौशल ने शिरकत की। उन्होंने द्वीप प्रज्वलित कर संघ्या का शुभारंभ किया। व्यास नगर समिति के प्रधान कमलेंद्र कश्यप, चेयरमैन अविनाश कपूर व कृष्णकांत ने मुख्यतिथि को शॉल, टोपी, व्यास जी की प्रतिमा व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। पइ अवसर पर अपने सम्बोधन में उन्होने गुरू व शिक्षक में अंतर बताते हुए कहा कि गुरू अपने शिष्य को अध्यात्मिक दिशा की ओर ले जाता है जबकि शिक्षक अपने शिष्य को बाहरी दुनिया को ज्ञान करवाता है। आजकल शिक्षा का स्तर बदल गया है। शिक्षकों को बदलना होगा। आजकल बच्चों में आएदिन संस्कारों की कमी है। बच्चे अपने से बडों से कैसे बात करनी है तहजीब भूल चुके हैं। बच्चों को संस्कार सिखाना घर में माता पिता व शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों को दायित्व है।
इस अवार पर व्यास नगर समिति के अध्यक्ष कमलेंद्र कश्यप, चेयरमेन अविनाश कपूर, कृष्णकांत, लौकेश कौशल, राजकुमार चौधरी, पूर्व पाषर्द सोनिका शर्मा, समाजसेवी संतोष जोशी, मुनीश, रितेश मेहता आदि के साथ अन्य मौजुद रहे।