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हिमाचल को देश का शिक्षा केन्द्र बनाने में शिक्षकों की अहम भूमिकाः मुख्यमंत्री

Byjanadmin

Sep 16, 2018

राज्य सरकार वर्ष 2002 में नियुक्त ग्रामीण विद्या उपासक (नियमित जेबीटी) शिक्षक श्रेणी को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाने की मांग पर विचार करेगा। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार उनके द्वारा राष्ट्रीय ओपन स्कूल संस्थान में जमा करवाए गए 5000 रुपये वापस करने के मामले को भी उठाएगी। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विद्या उपासक (नियमित जेबीटी) शिक्षक संघ के राज्य स्तरीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश आज शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय राज्य के शिक्षकों को भी जाता है, जो राज्य के दूरदराज के इलाकों में छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि पूर्व सरकार ने प्रदेश में बिना किसी बजट प्रावधान और योजना के शिक्षा संस्थान खोले। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ संस्थानों की घोषणा महज चुनावों के मद्देनजर की गई।
जय राम ठाकुर ने कहा कि छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए छात्रावास सुविधाओं के साथ राज्य में अटल आदर्श विद्या केंद्र खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में नियुक्त शिक्षकों के लिए एक अलग हस्तांतरण नीति भी तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में छात्रों को एनईईटी, आईआईटी और सिविल सेवा जैसी विभिन्न प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की कोचिंग प्रदान करने के लिए मेधा प्रोत्साहन योजना आरम्भ की गई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षकों की अनेक श्रेणियां हैं, जिन्हें तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि इन सभी शिक्षकों की भूमिका छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षकों की सभी उचित मांगों को जल्द से जल्द हल किया जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह क्षेत्र है, जहां हर प्रकार के विकास की नींव रखी जाती है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि छात्र अपने शिक्षक को उच्च सम्मान दें और उनके प्रति विशेष श्रद्धा रखें, जिसके लिए शिक्षक का आचरण छात्रों के लिए अनुकरणीय और आदर्श होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 3391 स्कूलों में नर्सरी कक्षाएं शुरू की जाएंगी, ताकि अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे को प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि कि सी एण्ड वी और पीटीए के सभी रिक्त पद प्राथमिकता के आधार पर भरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि पीएटी और पीटीए शिक्षकों की उचित मांगों को हल करने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षकों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 25 लाख रुपये का चैक भेंट किया गया।
शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि ग्रामीण विद्या उपासक राज्य के दूर-दराज इलाकों में छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करके सराहनीय सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छात्रों को विशेष रूप से राज्य के ग्रामीण इलाकों में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा व्यक्ति के भविष्य के विकास का आधार है। इसलिए एक मजबूत, शिक्षित और जीवंत समाज के निर्माण के लिए स्कूल शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में राज्य प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश के शिक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है।
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विद्या उपासक (नियमित जेबीटी) एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हेम राम ठाकुर ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विद्या उपासकों को वर्ष 2002 में तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था और तब से वे राज्य के दूरदराज के इलाकों में छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री का कर्मचारियों और विशेष रूप से शिक्षकों की विभिन्न मांगों के प्रति विचार करने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने एसोसिएशन की विभिन्न मांगों का भी विस्तृत विवरण दिया।
इस अवसर पर राजन चौहान ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
सुन्दरनगर के विधायक राकेश जम्वाल, एपीएमसी शिमला-किन्नौर के अध्यक्ष नरेश शर्मा, सचिव शिक्षा डॉ. अरुण कुमार शर्मा, निदेशक प्राथमिक शिक्षा रोहित जम्वाल, एसोसिएशन के महासचिव यश पाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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